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मन्त्रिमण्डल सचिवालय

मन्त्रिमण्डल सचिवालय

मन्त्रिमण्डल सचिवालय

(Cabinet Secretariat)

मन्त्रिमण्डल सचिवालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-भारत में ‘कैबिनेट सचिवालय’ स्वतन्त्रता बाद की घटना है, लेकिन कैबिनेट सचिवालय एकाएक विकसित नहीं हुआ बल्कि इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है जो इसे आज महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किए हुए है। सन् 1861 ई० के अधिनियम द्वारा लॉर्ड केनिंग ने भारत सरकार द्वारा गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में विभागीय व्यवस्था’ को प्रारम्भ किया। कार्यकारिणी परिषद का जैसे कार्य और महत्त्व बढ़ता गया तो वायसराय ने अपने निजी सचिव को इसकी बैठक में भेजना प्रारम्भ किया। यही निजी सचिव आज ‘कैबिनेट सचिव’ कहलाता है जो विभागीय बैठको में प्रधानमंत्री के पास बैठता है।

सन् 1947 ई० में स्वतंत्र भारत में कार्यकारिणी परिषद के सचिवालय का नाम बदलकर ‘कैबिनेट सचिवालय’ कर दिया गया। तभी से यह कैबिनेट सचिवालय एक महत्वपूर्ण सचिवालय बना। अब इसका कार्य विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों में समन्वय स्थापित करना है। 1947 ई० में कैबिनेट की ‘रक्षा समिति’ के गठन से सचिवालय के कार्यों में वृद्धि हुई। इस समिति की कार्यों में सहायता के लिए कैबिनेट सचिवालय में एक पृथक् ‘सैनिक प्रशासन’ इकाई स्थापित की गई। फरवरी 1949 ई० में ‘मन्त्रिमण्डल आर्थिक समिति गठित की गई जिसकी सहायता के लिए कैबिनेट सचिवालय में ‘आर्थिक विग’ स्थापित किया गया। सन् 1954 ई० में कैबिनेट सचिवालय के अन्तर्गत ‘ओ एण्ड एम प्रभाग’ स्थापित किया गया। जुलाई 1961 ई० में सचिवालय में ‘सांख्यिकी विभाग स्थापित किया गया। 1965 ई० में इसमें एक ‘इन्टेलिजेन्स विंग’ स्थापित किया गया। 1966 ई० में सचिवालय में ‘लोक उद्यम ब्यूरो स्थापित किया गया। 1970 ई० में कैबिनेट सचिवालय में तीन नये प्रभाग स्थापित किये गए-इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग, सेवी वर्ग एवं प्रशासनिक सुधार विभाग। 1971 ई० में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग योजना मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया। 1977 ई० में सेवी वर्ग एवं प्रशासनिक सुधार विभाग गृह मंत्रालय को स्थानान्तरित कर दिया गया।

इस प्रकार आज का कैबिनेट सचिवालय निश्चित विकास की प्रक्रिया से गुजरकर आज इतने प्रभावशाली रूप में स्थापित है।

मन्त्रिमण्डल सचिवालय का संगठन

(Organisation of Cabinet Secretariat)

मन्त्रिमण्डल सचिवालय प्रत्यक्षतः प्रधानमंत्री के अधीन होता है, लेकिन व्यवहारिक रूप में सचिवालय का अध्यक्ष कैबिनेट सचिव’ होता है, वही कैबिनेट सचिवालय में नियंत्रण और निर्देशन के लिए उत्तरदायी होता है। सन् 1961 ई० में भारत सरकार ने कैबिनेट सचिवालय का पुनर्गठन करके इसके कार्यों को दो विभागों में स्थापित किया-(i) मन्त्रिमण्डल मामलों का विभाग, (ii) सांख्यिकी विभाग।

(1) मंत्रिमण्डल मामलों का विभाग (Department of Cabinet Matters)-

इस विभाग द्वारा कैबिनेट तथा इसकी समितियों के लिए सचिव सम्बन्धी कार्य सम्पन्न किया जाता है। इस विभाग में कार्य निष्पादन के लिए सचिव- (6), अतिरिक्त सचिव-(1), संयुक्त सचिव-(1), उपसचिव-(2), कल्याण अधिकारी-(1) तथा अनुभाग अधिकारी-(9) हैं। इस विभाग के अन्तर्गत तीन प्रभाग हैं-

  1. नागरिक प्रभाग (Citizen Wing)- यह प्रभाग मन्त्रिमण्डल के संकट कार्यों को सम्पादित करता है तथा संकटकालीन समिति के अतिरिक्त विभिन्न तदर्थ समितियाँ तथा स्थाई समितियों का कार्य करता है। यह प्रभाग भारत सरकार के व्यवहार के नियमों से सम्बन्ध रखता है तथा कैबिनेट सचिव के सभापतित्व में कार्य करने वाले सचिवों की अधीनस्थ समितियों के कार्य में सहायता देता है।
  2. सैनिक प्रभाग (Military Wing)- यह प्रभाग कैबिनेट में कुछ स्थितियों से सम्बन्ध रखता है। जैसे-सुरक्षा समिति, रक्षा समिति, सयुक्त नियोजन समिति, सुयक्त प्रशासकीय समिति, संयुक्त प्रशिक्षण समिति, संयुक्त सतर्कता समिति आदि। यह प्रभाग सैनिक योजना समिति तथा राष्ट्रीय रक्षा परिषद् के कार्यों में भी सहयोग देता है।
  3. आपातकालीन प्रभाग (Emergency Wing)- यह प्रभाग मन्त्रिमण्डल की संकटकालीन समिति से सम्बन्धित विषयों पर कार्य करता है।
(2) साख्यिकी विभाग (Statistical Department)-

यह विभाग सभी राज्यों तथा संघ शासित अभिकरणों की संख्यिकी आंकड़े एकत्रित करने के लिए मापदण्ड, आदर्श तथा तरीके निर्धारित करता है। इस विभाग की अध्यक्षता एक अतिरिक्त सचित द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त इसके कार्यों में सहायता करने के लिए संयुक्त सचिव-(1), उपसचिव-(1), अवर सचिव- (1), तथा अनुभाग अधिकारी- (6) होते हैं। इस विभाग के अधीन दो प्रभाग है-

  1. केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical organization)-यह मई, 1957 ई० को स्थापित किया गया। इस संगठन का निर्देशक (Director) सांख्यिकी विभाग का पदेन सचिव होता है। इसके अतिरिक्त इसमें संयुक्त निदेशक (4), उपनिदेशक (2), सहायक निदेशक (2), साख्यिकी विशेषज्ञ (1) तथा अन्य स्टाफ होता है। इस संगठन में कुछ इकाइयां भी कार्य करती हैं, जैसे-सांख्यिकी सतर्कता इकाई श्रम एवं उद्योग इकाई, कीमत और जीवन लागत इकाई। राष्ट्रीय आय इकाई तथा आय वितरण समिति आदि। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन विभिन्न विषयों से सम्बन्धित सांख्यिकी आंकड़ो को विभिन्न मंत्रालयों से एकत्रित करता है। यह सांख्यिकी आंकड़ों से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार-विमर्श करता है तथा इस विषय पर मंत्रालयों तथा सरकारी अभिकरणों को परामर्श देता है।
  2. राष्ट्रीय सैम्पल सर्वेक्षण निदेशालय (Directorate of National Sample Survey)- उपलब्ध सांख्यिकी सूचना के रिक्त स्थानों को भरने के लिए विश्वसनीय आंकड़े प्राप्त करने हेतु इस निदेशालय की स्थापना की गई है। इस निदेशालय की स्थापना की गई है। इस निदेशालय के कार्यों का नियंत्रण और निर्देशन एक मुख्य निदेशक द्वारा किया जाता है। इसके कार्यों में सहायता के लिए निदेशालय में उपनिदेशक (3), सहायक निदेशक (7) तथा अन्य तकनीकी एवं सहायक स्टॉफ होता है। सम्पूर्ण देश का सैम्पल सर्वेक्षण करने के लिए इस निदेशालय में सात सीमाएं (Range) स्थापित की गई है। प्रत्येक रेंज एक सहायक निदेशक के अधीन रहती है। यह रेंज 18 खण्डों (Blocks) में विभक्त है जो एक सुपरिन्टेन्डेन के अधीन रहती है। राष्ट्रीय सैम्पल सर्वेक्षण निदेशालय का प्रमुख कार्य जनता की आर्थिक सामाजिक परिस्थितियों, लघु उद्योगों के उत्पादन, उपयोग तथा कृषि सम्बन्धी सांख्यिकीय आंकड़े एकत्रित करने के लिए सैम्पल सर्वेक्षण करना होता है।
  3. कम्प्यूटर केन्द्र (Computer Centre)- सांख्यिकी विभाग के अधीन एक तीसरें प्रभाग कम्प्यूटर केन्द्र की स्थापना जून, 1966 ई० में की गई है जिसका उद्देश्य सरकारी संगठन के साथ-साथ दिल्ली और उसके आस-पास स्थित सरकारी क्षेत्रों के उद्यमों के आंकड़े तैयार करने की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस केन्द्र के अन्तर्गत अमेरिका से 10 इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर खरीदे गए हैं जिनमें 3 कम्प्यूटर इस केन्द्र पर स्थापित किए गए है तथा 7 कम्प्यूटर देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित महत्त्वपूर्ण संगठनों में स्थापति किए गए हैं।

इस प्रकार भारत सरकार का कैबिनेट सचिवालय एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण सचिवालय है जो प्रधानमंत्री तथा कैबिनेट सचिव के नियंत्रण और निर्देशन में कार्य करता है। यह समय-समय पर कई प्रतिवेदन प्रकाशित करता है। इसके द्वारा एक पाक्षिक पात्रिका “कार्य सुधार” (Work Improvement) प्रकाशित की जाती है।

मन्त्रिमण्डल सचिवालय के कार्य-भूमिका

(Functions of Cabinet Secretariat)

भारत में मन्त्रिमण्डल की कार्यकुशलता तथा प्रशासन की सुव्यवस्था बहुत कुछ मन्त्रिमण्डल सचिवालय की क्षमता पर निर्भर करती है। मन्त्रिमण्डल सचिवालय केन्द्रीय प्रशासन की धुरी है, अतः मंत्रिमण्डल सचिवालय निम्नलिखित प्रमुख कार्य करता हैं-

  1. मन्त्रिमण्डल की बैठकों की कार्य सूची तैयार करना।
  2. मन्त्रिमण्डल की बैठकों के बाद वाद-विवाद तथा निर्णय और निश्चयों का अभिलेख तैयार करना।
  3. मन्त्रिमण्डल के लिए सचिवालय सम्बन्धी समस्त कार्यों का सम्पन्न करना।
  4. मन्त्रिमण्डल समितियों तथा मन्त्रिमण्डल द्वारा नियुक्त समितियों, मंत्रिमण्डल के आदेशानुसार स्थापित समितियों के लिए सचिवालय सम्बन्धी कार्यों का निष्पादन करना।
  5. संसद में विधि-निर्माण के लिए प्रस्तुत प्रस्तावों को तैयार करना।
  6. विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों में समन्वय स्थापित करना ।
  7. महत्त्वपूर्ण विषयों पर विदेशों से समझौता वार्ता करना।
  8. राज्य अथवा संघीय स्तर पर प्रशासनिक विलम्ब या कठिनाइयों को दूर करने के लिए सुझाव देना।
  9. मासिक सार लेखों तथा संक्षिप्त टिप्पणियों द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को विभिन्न मंत्रालयों की गतिविधियों से अवगत कराना।
  10. सांख्यिकी आंकड़े एकत्रित करने के लिए मापदण्ड, आदर्श एवं पद्धति निश्चित करना तथा केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन, राष्ट्रीय सेम्पल सर्वेक्षण निदेशालय के निर्देशों को प्रसारित करना।
  11. मंत्रिपरिषद् द्वारा पूर्व में लिए गए किसी निर्णय पर पुनर्विचार करना।
  12. सरकार द्वारा चलाए गए किसी अभियोग को वापस लेने सम्बन्धी प्रस्ताव पर विचार।

इस प्रकार भारत सरकार का मन्त्रिमण्डल सचिवालय देश का एक महत्वपूर्ण सचिवालय है जो देश का शासन चलाने में स्टाफ अभिकरण के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रशासनिक व्यवस्था में मन्त्रिमण्डल का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन कुछ विद्वानों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री सचिवालय’ की स्थापना होने से मन्त्रिमण्डल सचिवालय का महत्त्व कुछ कम हो गया है।

उपर्युक्त कार्यों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि मन्त्रिमण्डल सचिवालय उच्चतम स्तर पर निर्णय किए जाने की प्रक्रिया में समन्वय स्थापित करने की महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हुए प्रधानमंत्री के निर्देश के अनुसार काम करता है। इसके कार्यों में मन्त्रिमण्डल और उसकी समितियों के समक्ष मामले प्रस्तुत करना, उन पर किये गये निर्णयों के रिकार्ड तैयार करना और उन पर अमल के बारे में अनुवर्ती कार्यवाही करना भी शामिल है। यह सचिवों की समितियों के कार्य भी करता हैं, समय-समय पर इसकी बैठके मन्त्रिमण्डलीय सचिव की अध्यक्षता में उन समस्याओं पर विचार करने और परामर्श देने के लिए होती रहती है, जिन पर मंत्रालयों के बीच परस्पर परामर्श और समन्वय की आवश्यकता होती है। यह कार्य सम्बन्धी नियम बनाता है और प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुसार तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति से भारत सरकार के कार्यों का मन्त्रालयों और विभागों में आवंटन करता है। यह विभाग प्रत्येक मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में समय-समय पर उनसे सारांश और टिप्पणी मंगाता है और उन्हें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मन्त्रिपरिषद और अन्य महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों के पास भेजता है।

मन्त्रिमण्डल सचिवालय का महत्त्व

(Importance of Cabinet Secretariat)

मन्त्रिमण्डल सचिवालय के बहुमुखी कार्य ही इसके महत्त्व को सिद्ध करते है। भारत जैसे संसदीय जनतन्त्र में जहां मन्त्रिमण्डलीय मन्त्रियों को संसद् में उपस्थित होना पड़ता है और जन-प्रतिनिधियों के प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता उन्हें उचित सलाह देने तथा आवश्यक आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए सामान्य प्रकार के विभाग से कार्य नहीं चल सकता। अतः इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए विशेषतः मन्त्रिमण्डल स्तर के मन्त्रियों से संसद् में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने हेतु आवश्यक आंकड़े एवं तथ्य उपलब्ध कराने तथा नीति-निर्माण सम्बन्धी निर्णयों में सहायता करने के लिए एक नवीन प्रकार के निकाय ‘मन्त्रिमण्डल सचिवालय’ की स्थापना की आवश्यकता अनुभव की गई। यह मन्त्रिमण्डल सचिवालय नाम से पुराना होते हुए भी कार्यक्षेत्र एवं प्रकृति की दृष्टि से पूर्णरूपेण नया है। संसदीय प्रश्नों का उत्तर देने तथा नीति-निर्माण कार्य में सहयोग देने की दिशा में इस सचिवालय की भूमिका अपेक्षाकृत अधिक प्रभावशाली एवं विशेषीकृत है। इस संशोधन एवं परिवर्तन की स्थापना के कारण इसके महत्त्व एवं भूमिका में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। प्रधानमंत्री के सचिवालय की स्थापना के कारण इसका महत्त्व पूर्वापेक्षा कम हो गया है, किन्तु फिर भी इसके बढ़ते हुए महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता।

मन्त्रिमण्डल सचिवालय और उसके सचिव के विषय में रूथनास्वामी ने कहा था- “इस स्टाफ की सहायता से मन्त्रिपरिषद् का सचिव भारत सरकार के सभी विभागों द्वारा ऐसे मामलों में, जिनमें कि मन्त्रिपरिषद् अथवा मन्त्रिपरिषद् का नेता, प्रधानमंत्री रुचि लेते हैं, समन्वय उत्पन्न करने तथा समय पर कार्यवाही किए जाने के अपने कर्त्तव्य को पूरा करता है। उससे यह आशा की जाती है कि वह सिविल तथा सिविल कर्मचारियों के परामर्शदाता व वृद्ध मार्ग-दर्शक के रूप में कार्य करे। वह अपने सचिवालय के सहयोग से विभिन्न विभागों को जोड़ने वाली कड़ी सिद्ध हो गया तथा विभाग के मध्य एक प्रकार के अन्तः संचार मार्ग के रूप में कार्य करेगा। अपनी सर्वप्रमुख स्थिति के कारण यह सिविल सेवा का प्रधान होता है, अतः इस नाते उसका यह बहुत बड़ा कर्त्तव्य होगा कि वह संगठन तथा सेवाओं के कार्मिक वर्ग में ऐसा सुधार करे कि जिससे ये उन उच्च तथा उत्तरदायित्वपूर्ण कर्त्तव्यों को पूरा कर सकें जो उन्हें सौंपे गए हैं। मन्त्रिपरिषद् का सचिव एक सर्वोच्च श्रेणी का प्रशासक होना चाहिए जिसका चुनाव प्रेरणा, शक्ति, चतुराई तथा बहुविध अनुभव सम्बन्धी विशिष्ट गुणों एवं योग्यताओं के आधार पर किया जाना चाहिए।” इस प्रकार से केन्द्रीय प्रशासन के संचालन में इस अभिकरण की अत्यन्त उत्तरदायी और सार्थक भूमिका बनी हुई है। मन्त्रिमण्डल सचिवालय को केन्द्रीय प्रशासन की धुरी माना जा सकता है। इस तरह से केन्द्रीय प्रशासन के संचालन में मन्त्रिमण्डल सचिवालय की अहम भूमिका है। यह समन्वय स्थापित करने वाला निकाय है।

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