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केन्द्रीय सचिवालय

केन्द्रीय सचिवालय

केन्द्रीय सचिवालय

(Central Secretariat)

कार्यपालिका के सदस्य अथवा मन्त्रिगण राजनीतिक और सार्वजनिक कार्यों में अत्यधिक व्यस्त रहते है। नीति-निर्माण, नीति-क्रियान्वयन, जन-सम्पर्क, कूटनीतिक कार्यों के निर्वहन, निर्वाचन आदि विभिन्न कार्यों में उन्हें बहुत व्यस्त रहना पड़ता है। प्रशासनिक कार्यों का अन्तिम उत्तरदायित्व उन्ही पर होता है। वे अपने-अपने प्रशासकीय विभाग के राजनीतिक अध्यक्ष होते हैं, लेकिन मन्त्री का पद ऐसा होता है कि उस पर आसीन व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह प्रशासनिक कार्यों में प्रशिक्षित एवं निष्णात हो। लोकप्रियता और राजनीतिक प्रभाव के बल पर मंत्री अपने पद पर आता है और यह नहीं कहा जा सकता कि वह कब तक अपने पद पर बना रहेगा या कब पद-त्याग के लिए बाध्य हो जाएगा अथवा कब एक विभाग को छोड़कर दूसरे विभाग को सम्भालेगा। प्रायः एक मन्त्री के पास एक से अधिक विभाग होते है और सभी विभागों की विकसित प्रशासनिक तकनीक को समझने का प्रायः उसके पास समय नहीं होता। विभागीय अध्यक्ष और उच्च अधिकारी-गुण उसे आवश्यक सूचनाएं प्रदान करते है और अपनी राजनीतिक बुद्धि के अनुसार वह उन सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेता है। योग्य से योग्य मत्री भी अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्वों को स्वयं अकेला पूरा नहीं कर सकता है। उसका प्रमुख कार्य पथ-प्रदर्शन और परामर्श का है, सामान्यतः निर्देशन का और विरोधी हितों में समन्वय का है, नीति-निर्धारण का और नीति-क्रियान्वयन पर सामान्य निगरानी रखने का है। प्रशासकीय बारीकियों को समझना, प्रशासकीय कार्यक्रमों को देखना, प्रशासकीय व्यय का लेख-जोखा देना या उस पर नियंत्रण करना आदि उनके लिए सम्भव नहीं होता। इन परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि लोक सेवाओं का एक ऐसा संगठन स्थापित किया जाए जो मन्त्री को सलाह दे, उसके लिए सूचनाएं एकत्रित करे, नीति-निर्माण में उसकी सहायता में उसकी सहायता करे, प्रशासन पर नियंत्रण रखे और इसी प्रकार के कर्तव्यों का निर्वहन करें। ऐसे संगठन में अनुभवी, उच्च और गैर-विशेषज्ञ अधिकारियों को रखा जाना आवश्यक है क्योंकि विभाग के सम्पूर्ण प्रशासन का नियंत्रण एक ऐसा ही अधिकारी कर सकता है जो नीचे के अन्य अधिकारियों की तुलना में अधिक योग्य, अनुभवी और प्रशासकीय मस्तिष्क वाला हो। इस प्रकार के अधिकारियों का जो संगठन निर्मित किया जाता है उसे ‘सचिवालय’ की संज्ञा दी जाती है। भारत में केन्द्रीय सरकार का सचिवालय (केन्द्रीय सचिवालय) आजकल कार्यकारी प्रकृति का काफी कार्य करने लगा है। प्रत्येक राज्य में भी एक सचिवालय होता है जो उस राज्य का राज्य-सचिवालय’ कहलाता है।

व्यापक अर्थ में ‘सचिवालय’ शब्द से तात्पर्य सचिवों के कार्यालय से है। वह मन्त्री का मुख्य सलाहकार होता है, जो उसके प्रशासनिक कार्यों में उसकी सहायता तथा आवश्यक सलाह प्रदान करता है। इस शब्द की उत्पत्ति भारत के प्रशासन में उस समय हुई, जब अंग्रेजों ने अपने उपनिवेश में सचिव की सरकार स्थापित की। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सरकारी सत्ता जनता द्वारा निर्वाचित मन्त्रियों के अधीन रखने की व्यवस्था की गई है। इस बदली हुई स्थिति में सचिवालय का सम्बन्ध मन्त्री के कार्यालय से जोड़ा जा सकता है।

सचिवालय एक ऐसा संगठन है जो उसके कार्य संचालन में सहायता करता है। यह सहायता मन्त्रियों द्वारा नीति निर्माण सम्बन्धी कार्यों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त वह सचिवालय की समस्त अपेक्षित सूचनाएं तथा सामग्री मन्त्रियों के सम्मुख रखता है, जिससे कि वह शीघ्रता से सही नीति निर्धारण कर सके।

केन्द्रीय सचिवालय का संगठन

(Organisation of Central secretariat)

केन्द्रीय सचिवालय के संगठन को मुख्यः दो भागों में बाँटा जा सकता है-अधिकारी वर्ग तथा कर्मचारी वर्ग।

  1. अधिकारी वर्ग

    केन्द्रीय सचिवालय में सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, उप सचिव और अवर सचिव आदि अधिकारी होते है। प्रथम तीन अधिकारी उच्च स्तर के कार्यों के संचालन और निम्न दो स्तर के अधिकारी मध्य स्तर के कार्यों का संचालन अधिकारी होते है। सचिवालय के अधिकारियों की उक्त श्रेणियां निष्पादित सिद्धान्त पर आधारित है। प्रत्येक श्रेणी के अधिकारी का यह कर्त्तव्य है कि वह जितना अधिक कार्य कर सके उतना करे। उसके लिए यह भी देखना आवश्यक है कि केवल महत्वपूर्ण मामले ही उच्च स्तर पर पहुंचे। सचिव के कार्य पूर्णरूप से परिभाषित हैं। वह मंत्रालय या विभाग का प्रशासकीय अध्यक्ष होता है तथा संसदीय समितियों के सम्मुख अपने मन्त्रालयों का प्रतिनिधित्व करता है। वह अपने मन्त्रालय के कार्यों से अपने को पूर्ण सचेत रखता है। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा निपटाये गये मामलों की संख्या एवं प्रकृति के सम्बन्ध में वह साप्ताहिक प्रतिवेदन प्राप्त करता है।

  2. कर्मचारी वर्ग

    इस वर्ग के अनुभाग अधिकारी, सहायक अधिकारी, प्रवर एवं लिपिक आदि कार्मिक होते है। यह कार्मिक वर्ग संगठनात्मक स्वीकृत केन्द्र का कार्य करता है। इस वर्ग में योग्यता पर अधिकारी वर्ग की कार्यकुशलता निर्भर करती है। यह कर्मचारी निम्नलिखित कार्यों को संचालित करता है। प्राप्त नए पत्र के साथ पुराने पत्रों को संलग्न करना, यह देखना कि सभी तथ्य सही है। जहां आवश्यक हो वहां कानूनी या परम्परागत पद्धति की ओर ध्यान दिलाना तथा यह इंगित करना कि नियम आदि कहां उपलब्ध हैं, आवश्यक तथ्यों और आंकड़ों की जानकारी देना तथा पूर्व में लिए गये नीति सम्बन्धी निर्णयों के उदाहरणस्वरूप पुरानी फाइलें आदि प्रस्तुत करना, विचार के लिए प्रश्न अथवा प्रश्नों का उल्लेख करना तथा उन प्रश्नों का उत्तर पेश करना जिनके आधार पर निर्णय किया जा सके और जहां तक सम्भव हो, कार्यवाही का सुझाव देना।

केन्द्रीय सचिवालय के कार्य

(Functions)

सचिवालय प्रशासन की आत्मा है। यह वह केन्द्र बिन्दु है, जिससे आदेश के सूत्र और निर्णयों के तथ्य-सम्बद्ध विभागों के लिए प्रसारित होते है तथा उनसे आवश्यक सम्बन्धित तथा तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध कर मंत्री तक पहुंचाते हैं जिससे कि नवीन परिस्थितियों पर पुनः विचार किया जा सके। इस दृष्टि से वह दोहरी भूमिका का निर्वाह करता है। सचिवालय निम्नलिखित कार्यों को सम्पन्न करता है-

  1. नीतिनिर्माण

    सचिवालय की नीति रचना के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न करना पड़ता है। यह सही है कि यह नीति की रचना स्वतन्त्र रूप से नहीं कर सकता, लेकिन स्वतन्त्र रूप से रचना करने वाली कार्यपालिका इकाई के लिए वह आवश्यक सहायक सामग्री की व्यवस्था करता है, वह उन आंकड़ों को एकत्रित करता है जो नीति रचना के लिए आवश्यक होते हैं, उनका सभी प्रकार से विश्लेषण करता है।

  2. नीतिक्रियान्वयन

    कभी-कभी उपलब्ध आंकड़ों में प्राकृतिक अथवा अप्रत्याशित कारणों से परिवर्तन करना आवश्यक हो जाता है। उदाहरणार्थ वर्तमान वित्तीय पत्र में गेहूं की नीति में सरकार ने वसूली लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई बार परिवर्तन किये। मन्त्रिपरिषद् ऐसी सभी नई परिस्थितियों के लिए आवश्यक जानकारी एवं सूचना सचिवालय से प्राप्त करता है। नीति में आवश्यक परिवर्तन का सुझाव सचिवालय देता है। नीति के निर्तित होने के उपरान्त कार्यकारी विभाग को नीति विषयक आदेश प्रसारित करने का दायित्व सचिवालय के उसके सफल संचालन के लिए उत्तरदायी है।

  3. विधिनिर्माण में सहयोग

    सचिवालय को संसदीय कार्यों में भी मन्त्रिपरिषद् को पूर्ण सहयोग देना होता है। मन्त्रिपरिषद् विधान मण्डल में सरकारी कानूनों को प्रस्तुत करने और पास करने के लिए कार्य करती है। जिन सरकारी विधेयकों को प्रस्तुत करती है उनके लिए समस्त आवश्यक सामग्री जुटाने का कार्य सचिवालय सम्पन्न करता है। इस सम्बन्ध में संविधान प्रारम्भ में विधेयक का प्रारूप तैयार करता है तथा उसके पश्चात उप-नियमों की व्यवस्था करता है।

  4. समन्वयकारी संस्था

    सचिवालय नीति के संयोजन और क्रियान्वयन में मुख्य रूप से इस तथ्य का ध्यान रखता है कि सभी विभाग उसका एक समान अर्थ लें तथा उसके क्रियान्वयन में परस्पर सहायोग बनाये रखें। यदि कहीं कोई कठिनाई और असुविधा हो गई है तो सचिवालय अपने दायित्व को सम्पन्न करता है। वह विभिन्न इकाइयों के कार्यों के बीच उचित समायोजन स्थापित करता है। इस दृष्टिकोण के आधार पर कार्य में अनावश्यक दोहराव की सम्भावनायें समाप्त हो जाती हैं तथा धन की भी बहुत बचत होती है।

  5. वित्तीय कार्य

    प्रत्येक सरकार अपने कार्यपालिका दायित्वों को सम्पन्न करने के लिए धन की मांग व्यवस्थापिका सदन में करती है। यह सदन बजट के माध्यम से उसको व्यय और आय के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान करता है। सचिवालय वित्त मंत्री को आय और व्यय के आंकड़े प्रस्तुत करता है तथा बजट पास हो जाने के उपरान्त उसके मितव्ययितापूर्ण व्यय का दायित्व वहन करते है। व्यय पर कुशल नियन्त्रण ही सरकार की सफलता के लिए आवश्यक होता है। इससे अपव्यय और मितव्ययिता दोनों में उचित समायोजन हो जाता है।

  6. सम्पर्क इकाई

    प्रत्येक सरकार सामान्यकाल में निर्वाचित होकर कार्य करती है, लेकिन यदि राष्ट्रपति शासन प्रदेश पर घोषित कर दिया जाये, तब ऐसी स्थिति में कार्यपालिका विषयक समस्त दायित्वों का निर्वाह सचिवालय करता है। सामान्यकाल में भी सचिवालय की भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं होती। विभिन्न राज्य सरकारों से पारम्परिक समझौते तथा केन्द्रीय सरकार से सामान्य तथा विशिष्ट समझौते सचिवालय के प्रमुख अधिकारियों के माध्यम से सम्पन्न होते है। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व सचिवालय करता है।

  7. संगठनात्मक कार्य

    सचिवालय को प्रशासकीय कुशलता के लिए कार्य करना पड़ता है। संगठन और प्रणाली संभाग के माध्यम से वह कार्यकुशलता के विभिन्न उपायों को खोजकर उन्हें लागू करता है। सेवीवर्ग को संतोषजनक स्थिति में रखकर कार्य कराने के लिए सचिवालय प्रेरित करता है। संगठनात्मक क्षमता को बनाये रखने के लिए प्रेरणा और पुरुस्कार की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने का कार्य भी सम्पन्न करता है।

केन्द्रीय सचिवालय का महत्व

भारत में केन्द्रीय सचिवालय का जो महत्व है, उसे निम्नलिखित शीर्षकों में व्यक्त किया जा सकता है-

  1. प्रशासकीय निकाय का प्रमुख

    उसके आदेश सम्पूर्ण देश में प्रचलित होते है। वही से संघ सरकार की नीतियां और कार्यक्रमों का सदभाव होता है। जहां संघीय सचिवालय एक-दूसरे और उसके कार्यक्रम एवं नीतियां विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक और वर्गीय स्वार्थों से प्रभावित होते हे। सचिवालय से यह आशा की जाती है कि विभिन्न स्वार्थ समूह को सन्तुष्ट करने तथा सरकार के उत्तरदायित्व निर्वाह करने की क्षमता का परिचय

  2. सहायक के रूप में महत्वपूर्ण

    इस क्षेत्र में उसका कई कारणों से महत्व है। प्रथम, नीति-निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस कार्य में सचिवालय द्वारा मन्त्रियों की सहायता की जाती है। द्वितीय, मंत्रियों की व्यवस्थापिका में प्रस्तुत कियो जाने वाले विधेयक सचिवालय में तैयार किये जाते है। तृतीय सचिवालय सरकार के लिए संस्थागत स्मृति भण्डार-घर का कार्य करता है। इसके कारण ही सचिवालय सरकार के लिए दैनिक समस्याओं का परम्पराओं के संदर्भ में परीक्षण सम्भव है। चतुर्थ, सचिवालय में किसी भी समस्या एवं नीति पर निर्णय काफी व्यापक परीक्षण करने के पश्चात किया जाता है। फलस्वरूप विभिन्न दृष्टिकोणों में समन्वय स्थापना करने में सुविधा हो जाती है। पंचम, सचिवालय विभिन्न सरकारों, प्रशासनिक संस्थाओं और इकाइयों के मध्य संचार-सूत्र की भूमिका निर्वाह करता है।

  3. प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

    प्रथम, नीति निर्माण का कार्य और नीति की क्रियान्विति का कार्य भिन्न रहना चाहिए। द्वितीय, सम्पूर्ण प्रशासनिक पद्धति की जीवनदायिनी शक्ति के लिए यह आवश्यक है कि पदावधि प्रणाली के आधार पर परिवर्तन होने वाले अधिकारी प्रशासनिक संगठन के पदसोपान की महत्वपूर्ण संस्था का नियन्त्रण करें। नीति-निर्माण कार्य को नीति की क्रियान्विति के कार्यों से भिन्न रखने के पीछे उद्देश्य यह है कि दैनिक प्रशासन एक स्वतन्त्र संस्था के हाथ में रखा जाये और जिसका नीतियों की क्रियान्विति में आवश्यक स्वतन्त्रता प्राप्त हो। इस प्रशासनिक मान्यता के फलस्वरूप ही भारत में संघ एवं राज्यों में सचिवालय संस्था अस्तित्व में आई है।

  4. कार्यों की दृष्टि से महत्वपूर्ण

    कार्यों की दृष्टि से संघीय प्रशासनिक संगठन के पदसोपान में केन्द्रीय सचिवालय का शीर्ष स्थान है। कार्मिक और वित्त सम्बन्धी शक्तियों को छोड़कर यह सभी शक्तियों को धारण करने वोली संस्था है। प्रशासनिक सुधार आयोग ने केन्द्रीय सचिवालय के कार्यों के महत्व का उल्लेख करते हुए लिखा है, “सचिवालय व्यवस्था प्रशासन को सन्तुलन, निरन्तर और एकरूपता प्रदान की है।” मन्त्रालयीय स्तर पर अन्तर मन्त्रालय , समन्वय और संसद के प्रति उत्तरदायित्व को सम्भव बनाया है, जो एक संस्थागत प्रगति के रूप में सरकार के युक्ति युक्त काम की पुष्टि हेतु परम आवश्यक है।

केन्द्रीय सचिवालय के सम्पूर्ण कार्यों और महत्व के आधार पर कहा जा सकता है कि यह ‘भारत सरकार है क्योंकि भारत सरकार जो देश के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करती है वही सब कार्य केन्द्रीय सचिवालय करता है अर्थात केन्द्रीय सचिवालय द्वारा ही भारत सरकार के सभी कार्यों का निर्माण, क्रियान्वयन एवं निर्देशन किया जाता हैं।

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