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वित्त मंत्रालय- संगठन, प्रमुख कार्य

वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय (Finance Ministry)

वित्त मंत्रालय भारत की केन्द्रीय सरकार का गृह मंत्रालय के बाद दूसरा महत्वपूर्ण मंत्रालय है। यह मंत्रालय केन्द्रीय सरकार के वित्त प्रशासन के लिए उत्तरदायी है। यह सम्पूर्ण देश को प्रभावित करने वाले सभी आर्थिक और वित्तीय मामलों से सम्बन्धित है जिसमें विकास के लिए संसाधनों को जुटाने का काम भी शामिल है। यह मंत्रालय केन्द्रीय सरकार के व्यय का विनियमन करता है जिसमें राज्यों को संसाधनों का अन्तरण भी शामिल है। वित्त मंत्रालय उन अनुमानों तथ मदों पर व्यापक नियंत्रण रखता है जो संसद द्वारा समय-समय पर स्वीकृत किये जाते हैं तथा जिनके लिए संसद द्वारा साधनों का नियोजन भी किया जाता है। यह मंत्रालय विभिन्न व्यय कारक विभागों पर प्रशासकीय नियंत्रण रखता है साथ ही उनके क्रियाकलापों में समन्वय भी रखता है। केन्द्र सरकार की सामान्य आर्थिक तथा वित्तीय नीतियां तथा विकास कार्यक्रमों का निर्धारण भी वित्त मंत्रालय द्वारा ही किया जाता है। वित्त मंत्रालय सरकार के आय-व्यय के वार्षिक अनुमान (बजट) तैयार करता है तथा उन्हें स्वीकृति हेतु संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है। बजट की क्रियान्विति के लिए भी यह आवश्यक कार्यवाही करता है। इस प्रकार भारत सरकार का वित्त मंत्रालय वित्त पर मुख्य नियंत्रण और पर्यवेक्षण करने वाला प्रमुख संगठन है।

वित्त मंत्रालय का संगठन

(Organisation of Finance Ministry)

वित्त मंत्रालय का इन्चार्ज वरिष्ठ आन्तरिक मंत्री को बनाया जाता है जो कैबिनेट स्तर का मंत्री होता है। कैबिनेट मंत्री के कार्यों में सहायता करने के लिए वित्त राज्यमंत्री तथा वित्त उपमंत्री भी नियुक्त किये जाते हैं। वित्त मंत्रालय का आन्तरिक सम्भाग वर्तमान में तीन विभागों में विभक्त है।

अन्य मंत्रालयों/विभागों से प्राप्त प्रस्तावों पर कार्यवाही भी शामिल है जहां वित्त मंत्रालय का पूर्व अनुमोदन आवश्यक है। इसका कार्य है कि वह नई सेवा, सेवा के नये साधन सम्बन्धी नियमों तथा उनके अनुप्रयोग का संयोजन करे। यह प्रभाग लोग ऋण, बाजार ऋण, सरकार की अर्थोपाय स्थिति, केन्द्रीय सरकार द्वारा लिए और दिए गये उधारों तथा ऋणों की ब्याज दर, भारत सरकार की गारन्टियों तथा आकस्मिक निधि से संबद्ध कार्य भी करता है। यह प्रभाग देश की अल्प बचत योजनाओं, राष्ट्रीय बचत संगठन का संचालन करता है तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियां एवं सेवा शर्ते) अधिनियम, 1971 से सम्बन्धित कार्य भी करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत आयोग की स्थापना तथा प्रस्तुत रिपोर्ट को संसद में रखने का कार्य भी करता है। यह प्रभाग राष्ट्रीय प्रतिरक्षा निधि से सम्बन्धित मामलों को भी देखता है।

1. पूंजी बाजार एवं विदेशी वाणिज्यिक उधार प्रभाग-

इस प्रभाग का इन्चार्ज संयुक्त सचिव होता है। यह प्रभाग दो स्कन्धों-पूंजी बाजार स्कन्ध तथा विदेशी वाणिज्यिक उधार स्कन्ध में विभाजित है। पूंजी बाजार, स्कन्ध की दो शाखाएं हैं-पूंजी बाजार शाखा तथा स्टॉक एक्सचेंज शाखा । पूंजी बाजार स्कन्ध के मुख्य कार्यों का सम्बन्ध पूंजी बाजार के व्यवस्थित विकास तथा वृद्धि के लिए नीतियां विकसित करने, भारतीय यूनिट ट्रस्ट तथा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समूचे कार्यकरण की देखरेख करने तथा प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956, सेवी अधिनियम, 1992 तथा निक्षेपागार अधिनियम, 1996 को लागू करने से है।

विदेशी वाणिज्यिक स्कन्ध सभी प्रकार के विदेशी वाणिज्यिक उधार सम्बन्धी प्रस्तावों की जांच करती है तथा उनका अनुमोदन करती है जिनमें सम्मिलित है-वाणिज्यिक बैंक, उधार, क्रेता, क्रेडिट, संभरक क्रेडिट, प्रतिभूति प्रलेख जैसे कि अस्थायी दर के नोट और नियत दर के बांड आदि, सरकारी निर्यात क्रेडिट अभिकरणों से क्रेडिट और अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम (वाशिंगटन), एशियाई विकास बैंक, ए.एफ.आई.सी., सी.डी.सी. आदि जैसी बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं के निजी क्षेत्र मार्ग के वाणिज्यिक उधार ।

विदेशी वित्त प्रभाग-

यह प्रभाग विश्व स्तर की विभिन्न वित्त सहायता प्राप्त करने वाली संस्थाओं जैसे-भारत विकास मंच, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, आई.बी.आर. डी. आदि तथा विभिन्न देशों से प्राप्त आर्थिक अनुमोदन एवं सहायता से सम्बन्धित कार्यों का संचालन करता है।

मुद्रा एंव सिक्का प्रभाग-

यह प्रभाग भारत में प्रचलित मुद्रा एवं सिक्कों के निर्माण, रखरखाव आदि से समबन्धित कार्य देखता है जैसे-नोटों, विकास पत्रों, स्टाम्प चैकों, पोस्टल स्टाम्प, डाक सामग्री आदि का मुद्रण तथा सिक्कों का निर्माण करना।

प्रशासन प्रभाग-

यह प्रभाग आर्थिक कार्य विभाग के कार्मिकों एवं कार्यालय प्रशासन, सतर्कता सम्बन्धी मामलों तथा विभाग एवं इससे सम्बद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों द्वारा सरकार की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन सम्बन्धी कार्य करता है।

2. व्यय विभाग-

यह वित्त मंत्रालय का दूसरा महत्वपूर्ण विभाग है जिसका प्रशासकीय इन्चार्ज सचिव स्तर का अधिकारी होता है। इसके अतिरिक्त इस विभाग में सचिव (व्यय) की सहायता के लिए अपर सचिव, महालेखा नियंत्रक, मुख्य सलाहकार (लागत) तथा संयुक्त सचिव एवं अन्य अधिकारी होते हैं। यह विभाग कार्यों की दृष्टि से 12 प्रभागों में विभक्त है।

संस्थापन प्रभाग-

यह प्रभाग केन्द्रीय सरकार के सभी कर्मचारियों की सेवा शर्तों सहित नियमों और विनियमों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रभाग केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन ढांचा और ग्रेड का निर्धारण, वेतन नीति निर्धारण, वेतनमानों का पुनरीक्षण, वेतन नियमन के मूलभूत सिद्धान्तों, मकान किराया भत्ता, यात्रा एवं दैनिक भत्ता, महंगाई भत्ता तथा अन्य प्रकार के प्रतिभूति भत्तों आदि जैसे मामलों के साथ-साथ पेंशनभोगियों के लिए पेंशन ढांचा तैयार करने तथा महंगाई राहत जैसे मामलों सम्बन्धी कार्यों का संचालन करता है।

प्रशासन स्कन्ध प्रभाग-

प्रशासन स्कन्ध प्रभाग कार्मिक प्रबन्धन कार्यालय के प्रशासन, सतर्कता सम्बन्धी मामलों तथा राजभाषा नीति को कार्यान्वित करने के साथ-साथ विभाग में कर्मचारियों की कठिनाइयों का निवारण करने के लिए भी उत्तरदायी है। यह वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री के कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के अलावा कार्यालय प्रशासन की देखरेख भी करता है। यह प्रभाग पूरे केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के केन्द्रीय सचिवालय के संवर्ग प्रशासन का इंचार्ज होता है तथा वित्त मंत्रालय की विभागीय परिषद (संयुक्त परामर्शदात्री समिति) के लिए समन्वय सचिवालय का कार्य करता है। यह जनता से प्राप्त शिकायतों को भी सुनता है।

राष्ट्रीय वित्तीय प्रबन्धन संस्थान प्रभाग-

यह प्रभाग ग्रुप ‘ए’ सर्विस के लेखा, बजट तथा वित्तीय कार्य से सम्बद्ध परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है और अखिल भारतीय सेवा की अन्य केन्द्रीय सेवाओं के लिए अल्पकालीन वित्तीय प्रबन्धन कार्यक्रम भी आयोजित करता है।

वेतन अनुसंधान एकक प्रभाग-

इस प्रभाग का प्रमुख कार्य केन्द्रीय सरकार के असैनिक कर्मचारियों और केन्द्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों पर किए गए वास्तविक व्यय के आंकड़ों का संकलन तथा विश्लेषण करना है तथा उसके आधार पर ‘ब्रोचर ऑन पे एण्ड अलाउंसिज ऑफ सेन्ट्रल गवर्नमेण्ट सिविलियन एम्पलाइज’ नाम से एक वार्षिक प्रकाशन निकालना है।

सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग प्रभाग-

यह प्रभाग भारत सरकार की राजभाषा नीति के क्रियान्वयन के अलावा सभी तरह के सामान्य आदेशों, धारा 3(3) के तहत अपेक्षित दस्तावेज संसद के किसी भी सदन में रखे जाने वाले कागजात, संसदीय प्रश्नों तथा उनके उत्तर तथा अन्य आवश्यक रिपोर्टो, आदेशों, मंत्री महोदय के कार्यालय से प्राप्त होने वाले पत्रों, भाषणों आदि के अनुवाद की व्यवस्था हिन्दी अनुभाग द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त तात्कालिक प्रकृति की मंत्रिमण्डल टिप्पणियां, प्रतिवेदन, बैठकों के कार्यवृत्त और कार्यसूची का अनुवाद भी हिन्दी प्रभाग द्वारा किया जाता है।

योजना वित्त I प्रभाग-

यह प्रभाग राज्य के वित्तीय साधनों और योजना परिव्ययों, राज्यों की वार्षिक तथा पंचवर्षीय योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों का मूल्यांकन करने तथा केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों एवं राज्यों के ओवर ड्राफ्ट आदि से सम्बन्धित कार्य देखता है। यह प्रभाग राज्यों को उनकी राज्य योजनाओं (बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं सहित), पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रमों के लिए केन्द्रीय सहायता तथा योजना आयोग द्वारा राज्य सरकारों के साथ योजना सम्बन्धी विचार-विमर्शों के दौरान किए गए निर्णयों के आधार पर योजना अनुदान जारी करता है।

योजना वित्त II प्रभाग-

यह प्रभाग केन्द्रीय योजना से सम्बन्धित मामलों पर कार्यवाही करता है। इसमें केन्द्रीय योजना के लिए संसाधन सम्बन्धी अनुमान, जिसमें आन्तरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधन, केन्द्रीय सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के योजनागत परिव्यय, सार्वजनिक निवेश बोर्ड/व्यय वित्त समिति इत्यादि को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व योजनागत परियोजनाओं/स्कीमों का मूल्यांकन करना भी सम्मिलित है। यह सार्वजनिक निवेश बोर्ड का सचिवालय भी है।

लागत लेखा शाखा प्रभाग-

यह प्रभाग केन्द्रीय सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य अभिकरणों को लागत मूल्य निर्धारण और वित्त से जुड़े अन्य पक्षों से सम्बन्धित अध्ययन करने में व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है। यह प्रभाग सेवारत अधिकारियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं सम्बन्धी कार्य भी देखता है। इस प्रभाग के अधिकारी भिन्न-भिन्न अन्तर मंत्रालयी समितियों में भी कार्य करते हैं।

कर्मचारी निरीक्षण एकक प्रभाग-

यह प्रभाग प्रशासनिक कार्यकुशलता के अनुरूप जनशक्ति में किफायत करना और सरकारी कार्यालयों अथवा पर्याप्त सरकारी अनुदानों पर निर्भर संस्थानों में कार्य निष्पादन के मापदण्ड एवं कार्य प्रतिमान तैयार करता है। इसके अधिकारी वैज्ञानिक और तकनीकी संगठनों की मानव शक्ति आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए नियुक्त समिति के प्रमुख सदस्यों के रूप में कार्य करते हैं।

महालेखा नियन्त्रक प्रभाग-

यह प्रभाग केन्द्र सरकार का लेखा सम्बन्धी शीर्ष प्राधि प्रकरण है। यह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सलाह पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों के लेखों के स्वरूपों के निर्धारण के लिए संविधान के अनुच्छेद 150 के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करता है। यह प्रभाग अन्य बातों के साथ-साथ-

  • केन्द्र सरकार के मासिक लेखों को तैयार एवं उन्हें समेकित करने, (ii) केन्द्र सरकार के वार्षिक विनियोजन लेखा (सिविल) और वित्त लेखा को संसद में प्रस्तुत करने,
  • सिविल मंत्रालयों में ठोस एवं कारगर आन्तरिक लेखा-परीक्षा एवं पूर्व जांच प्रणाली सुनिश्चित करने,
  • तत्काल एवं अचूक लेखांकन के माध्यम से सिविल मंत्रालयों में व्यय के प्रबोधन को सक्षम बनाने,
  • भारत सरकार की विशेषकर सीमा शुल्क, आयकर, केन्द्रीय उत्पादन कर से सम्बन्धित प्राप्तियों की गहन तथा प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने,
  • लेखांकन की गुणवत्ता में निरन्तर स्तरोत्तर को प्रबन्धन के एक उपकरण के रूप में प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए सरकार के अधीन वित्तीय नियंत्रण में सुधार को प्रभावी बनाने सम्बन्धी कार्य करता है।

यह प्रभाग केन्द्र सरकार के लेखों की विस्तृत विश्लेषणात्मक समीक्षा भी प्रतिमाह केन्द्रीय वित्त मंत्री को प्रस्तुत करता है।

केन्द्रीय पेंशन लेखा कार्यालय प्रभाग-

इस प्रभाग की स्थापना 1 जनवरी, 1990 ई० को की गई जिसका उद्देश्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को पेंशन भुगतान तथा हिसाब के भार से मुक्त रखना था। यह प्रभाग मुख्यतया लोकसभा/राज्यसभा के सांसदों, स्वतंत्रता सेनानियों, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों तथ केन्द्र सरकार के सिविल कर्मचारियों के पेंशनरों को पेंशन भुगतान से सम्बन्धित कार्य देखता है। यह प्रभाग पेंशन अनुदान (केन्द्रीय सिविल) को संचालित करता है तथा पेंशन भुगतान लेखा, संयुक्त पेंशन अनुदान के विनियोजन लेखा और बजट की तैयारी तथा वित्तीय लेखा के लिए उत्तरदायी है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा वितरित पेंशन भुगतान पर भी नियंत्रण रखता है।

वित्त आयोग प्रभाग-

यह प्रभाग भारत में विभिन्न वित्त आयोगों की सिफारिशों के कार्यान्वयन से सम्बन्धित कार्य करता है। अब तक भारत में 12 वित्त आयोगों की सिफारिस का कार्यान्वयन किया जा चुका है।

3. राजस्व विभाग-

वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग तीसरा महत्वपूर्ण है, जो दो सांविधिक बोर्डों-केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड के माध्यम से देश में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संघीय करों से सम्बन्धित राजस्व मामलों के दार में नियंत्रण रखता है। इसका इन्चार्ज सचिव (राजस्व) होता है। इसके कार्यों में सहायता हेतु अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी होते हैं। राजस्व विभाग को कार्यों की दृष्टि से निम्न 14 प्रभागों में संगठित किया गया है-

सामान्य प्रशासन प्रभाग-

यह प्रभाग राजस्व विभाग के मुख्यालय से सम्बन्धित सभी प्रशासनिक कार्यों, दोनों बोर्डों के मध्य समन्वय, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899, केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1956 और समझौता आयोग (धनकर, सम्पत्ति कर), समहृत सम्पत्ति अपील अधिकरण, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, स्वर्ण नियंत्रण अपील अधिकरण, अग्रिम विनिर्णय प्राधिकरण, प्रवर्तन निदेशालय और तस्करी एवं विदेशी मुद्रा ऋण माध्यम अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारियों एवं स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम से सम्बन्धित कार्यों को देखता है।

केन्द्रीय उत्पादन शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड प्रभाग-

यह प्रभाग केन्द्रीय उत्पादन शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड से सम्बन्धित कार्य देखता है। बोर्ड में एक अध्यक्ष तथा पांच सदस्य होते हैं जो भार सरकार के क्रमशः पदेन विशेष सचिव एवं अपर सचिव होते हैं। यह प्रभाग बोर्ड के माध्यम से सीमा शुल्क तथा केन्द्रीय उत्पादन शुल्कों के उदग्रहण तथा वसूली करने, तस्करी की रोकथाम करने तथा इस बोर्ड के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सीमा शुल्क; केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा नारकोटिक्स से सम्बन्धित मामलों के प्रशासन हेतु नीति तैयार करता है। यह बोर्ड अपने अधीनस्थ संगठनों जैसे-सीमा शुल्क गृहों, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालयों तथा केन्द्रीय राजस्व निर्माण प्रयोगशाला के लिए प्रशासनिक प्राधिकरण का भी कार्य करता है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड प्रभाग-

यह राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण प्रभाग है जो देश में प्रत्यक्ष करों के द्वारा राजस्व प्राप्त करता है। आयकर तंत्र में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एक शीर्षस्थ संस्था है जो विभिन्न कानूनों के माध्यम से विभिन्न सांविधिक कार्यों को निष्पादित करने के अलावा कर प्रशासन से सम्बन्धित नीतियों को तैयार करने और लागू करने के लिए भी उत्तरदायी है। इस बोर्ड में एक अध्यक्ष और पांच सदस्य हैं। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड निम्न अधिनियमों का प्रशासन देखता है तथा इसके माध्यम से प्रत्यक्ष कर लगाकर राजस्व वसूली करता है-आयकर अधिनियम, 1961, धनकर अधिनियम 1957, दानकर अधिनियम, 1958, ब्याज कर अधिनियम, 1974, व्यय कर अधिनियम 1987 तथा बेमानी लेन देन (निषेध) अधिनियम 1988 |

वित्त मन्त्रालय के प्रमुख कार्य

(Major Functions of Finance Ministry)

वित्त मंत्रालय का दायित्व केन्द्रीय सरकार का वित्त प्रबन्धन करने और सारे देश पर प्रभाव डालने वाले सभी वित्तीय मामलों को निपटाने का है। यह मंत्रालय विकास और अन्य आवश्यकताओं के लिए देश और विदेशों में साधन जुटाने की व्यवस्था करता है और सरकार की कर लगाने तथा ऋण लेने की नीतियों का नियमन करता है। यह अन्तर-सम्बन्ध मंत्रालयों के सहयोग से राज्यों और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के लिए किये जाने वाले अन्तरणों सहित भारत सरकार के सम्पूर्ण व्यय का नियन्त्रण करता है। चाहे वह देश में किया जाता हो या विदेश में। यह मंत्रालय बैंक कारोबार, बीमा, मुद्रा, सिक्का ढलाई और विदेशी मुद्रा से सम्बन्धित मामले भी निपटाता है। वित्त मंत्रालय के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. करों की प्राप्ति

    संसद द्वारा प्रस्तावित स्वीकृति और अनुमोदित सभी प्रकार के करों को प्राप्त करने का कार्य वित्त मंत्रालय क महत्वपूर्ण दायित्व है। इन करों को प्राप्त करने के लिए वित्त मंत्रालय देश के केन्द्रीय, क्षेत्रीय एवं सम्भागीय आधार पर अपने कार्यालय को सचेत करता है। वित्त मंत्रालय को सभी धन खजानों के माध्यम से प्राप्त होता है और वहीं वह जमा हो जाता है।

  2. कराधान नीति का नियमन

    सरकार के विभिन्न विभाग सम्भावित प्राप्तियों और व्यय का उल्लेख विवरण-पत्र मंत्रालय को प्रेषित करते हैं। अतिरिक्त व्यय के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है। धन की प्राप्ति को अन्तिम रूप देने का भी दायित्व वित्त मंत्रालय सम्पन्न करता है। सरकार की ऋण-नीति का भी निर्धारण वित्त मंत्रालय करता है।

  3. आयव्यय का अनुमान

    वित्त मंत्रालय के विविध कार्य केवल आय के साधनों तथा व्ययों के आवश्यक तथ्यों के विचार-विमर्श से सम्बन्धित है। ये अनुमान तथ्यों पर आधारित होने के बाद भी सम्भावित होते हैं। अनुमान के बाद भी उनमें अधिक उलट फेर संभव नहीं हैं।

  4. व्यय पर नियन्त्रण

    वित्त मंत्रालय राष्ट्रीय आय के विवरण को बजट के रूप में प्रस्तुत करता है। संसद द्वारा स्वीकृत प्राप्त होने पर विभिन्न विभागों को उनको आवंटित आवश्यक धन को व्यय करने की सूचना और स्वीकृति प्रेषित कर दी जाती है। इस विभाग का कार्य इससे भी अधिक है। यह प्रत्येक विभाग के व्यय को कड़ी निगरानी से देखता है। यह अनावश्यक व्यय की सुविधा नहीं देता।

  5. बजट की प्रस्तुति

    वित्त मंत्रालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य बजट के निर्माण का है। वित्त मंत्रालय की दृष्टि से समस्त विभागों से प्राप्त आय-व्यय के विवरण को संचालित और वर्गीकृत करके बजट तैयार करता है तथा उसे संसद से पास होने पर निष्पादन हेतु सम्बद्ध विभागों को सूचित करता है।

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