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व्यावसायिक-निर्देशन की आवश्यकता

व्यावसायिक-निर्देशन की आवश्यकता

व्यावसायिक-निर्देशन की आवश्यकता (Need for Vocational Guidance)

प्रत्येक व्यक्ति अपना व्यवसाय तो चुन सकता है, परन्तु निर्देशन के अभाव में वह सफलता संभवतः ही प्राप्त कर सकता है। अतः व्यवसाय-निर्देशल की आवश्यकता निम्नांकित तथ्यों को ध्यान में रखने पर ही स्पष्ट हो सकेंगी, यथा-

  1. व्यवसायों में विभिन्नता (Varieties of occupations)-

    आधुनिक काल में व्यवसाय-निर्देशन की आवश्यकता व्यवसायों में विविधता के कारण अधिक अनुभव की जाने लगी है। प्राचीनकाल में व्यवसायों की संख्या इतनी अधिक नहीं थी। अतः युवकों के सम्मुख व्यवसाय-चयन की समस्या भी न थी। आज विद्यालय छोडने के पूर्व ही यह आवश्यक हो जाता है कि विद्यार्थियों को विद्यालय के कार्यकाल में ही व्यावसायिक निर्देशन दे दिया जाये। विद्यार्थी के शिक्षण-काल में ही यदि विषयों का चुनाव उचित ढंग से उसकी योग्यता तथा कार्यक्षमतानुसार हो गया तो आगे चलकर उसे व्यवसाय-चयन करने में असुविधा न होगी। अध्ययन के पश्चात् असे निर्देशन के अभाव में कई वर्ष बेकार बैठे रहना पड़ेगा अथवा ऐसा व्यवसाय चुनना पडेगा जिसके वह उपयुक्त नहीं है। अत: यह आवश्यक है कि छात्र को विभिन्न व्यवसायों से परिचित कराया जाए, उसको आवश्यक योग्यताओं, क्षमताओं तथा शक्तियों का ज्ञान कराया जाए एवं छात्र की जो निहित शक्तियाँ हैं, उनका ज्ञान भी छात्र को कराया जाए, जिससे वह भावी जीवन के व्यवसाय से अपनी शक्तियों का मिलान करके उचित व्यवसाय का चयन कर सके।

  2. छात्रों के भावी जीवन में स्थिरता लाना (To stabilize the future life of the Students)-

    छात्र जिस समय विद्यालय छोडकर व्यवसाय में प्रवेश करता है तो वहाँ ऐसे। वातावरण पाता है जिसके सम्बन्ध में उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है। अज्ञात वातावरण में ठीक से समायोजित हो जाना सरल नहीं है। समायोजन की त्रुटि अल्पकाल में ज्ञात नहीं होती है, इसमें तो समय लगता है और जब अनुचित समायोजन का पता लगता है तब तक पर्याप्त समय गुजर चुका होता है। अतः यह आवश्यक है कि बच्चों को छात्र-जीवन में ही कार्य-जगत का पर्याप्त ज्ञान-प्रदान कर दिया जाय, जिससे छात्र-जीवन के पश्चात् तुरन्त ही वे व्यवसाय-जीवन में स्थिरता ला सकें और उन्हें शीघ्र ही अपने व्यवसाय बदलने न पडे।

  3. व्यक्तिभिन्नताएँ ( Individual Differences)-

    संसार में दो प्रकार की विभिनताएँ पायी जाती हैं – व्यक्ति-विभिन्नताएँ तथा व्यवसाय-विभिन्नताएँ। संसार में जिस प्रकार विभिन्न प्रकार के व्यक्ति पाये जाते हैं, उसी प्रकार विभिन्न प्रकार के व्यवसाय भी दिखाई देते हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक कार्य नहीं कर सकता है, ठीक इसी प्रकार प्रत्येक कार्य प्रत्येक व्यक्ति के उपयुक्त नहीं है। अब यह ज्ञात करना कि कौन व्यक्ति किस कार्य को कर सकता है तथा किस कार्य कार्य के लिए कौन व्यक्ति अच्छा तथा योग्य है, एक समस्या है। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो जाता, समाज का कल्याण संभव नहीं। इस कार्य हेतु हमें व्यवसाय-निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है।

  4. आर्थिक दृष्टिकोण से आवश्यकता (Need from Economic point of view)-

    अक्सर देखने में आता है कि भारत जैसे देश में जहाँ बेकारी की समस्या अत्यन्त भयंकर रूप धारण किये हुए है, अनेक युवक विद्यालय छोडने के उपरान्त जिस व्यवसाय में उन्हें अवसर मिल जाता है, प्रवेश कर जाते हैं, चाहे उस व्यवसाय में उनकी रुचि हो अथवा नहीं। अरुचिकर व्यवसाय में मजबूरन जाने के कारण नवयुवक उतने उत्साह एवं लगन के साथ कार्य करने में असफल रहते हैं जितना कि उन्हें उत्साह तथा लगन दिखानी चाहिए। इससे नवयुवक-समाज तथा देश की आर्थिक अवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः इस लाभहानि आर्थिक अवस्था से देश, समाज एवं युवकों को बचाने हेतु निर्देशन की आवश्यकता पड़ जाती है। इसके साथ ही साथ जिस व्यवसाय में ये नवयुवक अपनी इच्छा के विरुद्ध प्रवेश करते हैं उनके मालिक को भी इससे क्षति उठानी पड़ती है क्योंकि उनका उत्पादन पहले जैसा नहीं होता हैं अतः व्यवसाय-निर्देशन की आवश्यकता व्यवसायी को भी पडती है। इसकी सहायता से वह उचित व्यवसाय के लिए उचित व्यक्ति का चुनाव करता है, साथ ही साथ श्रम-विभाजन में भी व्यवसाय-निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है।

  5. स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यकता (Need from the stand point of Health)-

    स्वास्थ्य की दृष्टि से भी व्यवसाय निर्देशन की अत्यन्त आवश्यकता है। अरुचिकर व्यवसाय श्रमिक के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। अरुचिकर व्यवसाय में श्रमिक कोई भी रुचि नहीं लेगा, बिना इच्छा के कार्य करेगा, उसका उत्साह जाता रहेगा, उसे अपना जीवन नीरस मालूम पडेगा चिन्ताएँ उसे घेर लेंगी और अन्त में वह अपना स्वास्थ्य खो देगा। कुछ व्यवसाय पूरे शरीर की क्रिया न चाहते हुए कुछ विशेष अंगों की क्रिया चाहते हैं। यदि वह विशेष अंग उस व्यक्ति का पहले से ही खराब हुआ तो वह और भी ज्यादा खराब हो जायेगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को ऐसा कार्य दिया गया है जो आँख के द्वारा किया जाता है और उस व्यक्ति की आँखे पहले से ही खराब हैं तो वे और भी खराब हो जायेंगी। अतः स्वास्थ्य की दृष्टि से भी व्यवसाय-निर्देशन आवश्यक है।

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