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भारत में जनाधिक्य की समस्या एवं कारण

भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या एवं कारण

भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या

(Problem of Over Population in India)

भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है जो कि एक समस्या बन चुकी है। यह बढ़ती हुई जनसंख्या एक चिन्ताजनक स्थिति भी बन चुकी है, इसीलिए सभी का ध्यान इसी की ओर आकृष्ट है। वर्तमान वातावरण विषमताओं का है जिसके लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कारक बढ़ती हुई जनसंख्या है। भारत में वर्तमान में जनसंख्या की विषमताओं से जनाधिक्य से अनेक सूचकों का स्पष्टीकरण होता है। जनाधिक्य के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं-

  1. भारत में जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ी है।
  2. जन्म-दर एवं मृत्यु दर की विषमताओं में वृद्धि होती जा रही है। जन्म-दर में कमी करने में सफलता नहीं पाई जा सकी है जबकि मृत्यु दर में तीव्रता से कमी होती जा रही है। अर्थात् प्रत्याशित जीवन में वृद्धि होती जा रही है।
  3. जनसंख्या का भार कृषि भूमि पर अत्यधिक पड़ रहा है।
  4. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की समस्या में भी वृद्धि हुई है। भारत में आज5 करोड़ व्यक्ति पूर्ण एवं आंशिक रूप से बेरोजगार हैं।
  5. बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या ने निर्धनता को भी बढ़ावा दिया है। प्रति व्यक्ति निम्न आय तथा उसमें पर्याप्त वृद्धि भी जनाधिक्य को प्रकट करती है।
  6. भारत में लगभग 40% व्यक्ति निर्धनता रेखा के नीचे आय अर्जित कर रहे हैं ।
  7. जनसंख्या वृद्धि से खाद्य समस्या भी इत्पन्न हुई है तथा वस्तुओं का अभाव एवं मूल्य वृद्धि की समस्या अत्यधिक मांग के कारण इत्पन्न हुई है।

इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या एक कठिन समस्या है। यह जनसंख्या वृद्धि अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डालती है। प्रमुख अर्थशास्त्रियों के मतानुसार, अतिरेक जनसंख्या हेतु प्रतिवर्ष 120 करोड़ क्विंटल अनाज, 25 लाख नये मकान तथा 43 लाख रोजगार सुविधाओं की आवश्यकता होगी। उन राष्टों के लिए यह बोझ उठाना अत्यन्त कठिन होगा जो निर्धन एवं अर्द्धविकसित हैं। इस जनसंख्या वृद्धि के सम्बन्ध में अर्थशास्त्री हक्सले ने कहा है कि ‘”भारत की जनसंख्या समस्या का संतोषप्रद समाधान खोजने की स्थिति अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यदि हम इसमें सफल नहीं होते हैं तो इससे सामाजिक एवं राजनीतिक विनाश की स्थिति इत्पन्न होगी और यदि सफल होते हैं तो इससे भारत को नेतृत्व प्राप्त होगा और यह आशा का केन्द्र बन सकेगा।”

भारत में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण

(Causes of Rapid Increase in Indian Population)

भारत में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. विवाह की लोकप्रियता तथा अनिवार्यता (Popularity and Compulsion of marriage)

    भारतवर्ष में विवाह की लोकप्रियता एवं अनिवार्यता है जो जनसंख्या को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण है। जब व्यक्ति विवाह के बन्धन में बंध जाता है तो उसे समाज को देखते हुए बच्चे पैदा करना आवश्यक हो जाता है। अतः विवाह की लोकप्रियता तथा अनिवार्यता जनसंख्या को बढ़ाने में प्रोत्साहन देती है।
  2. बाल विवाह की प्रथा (Custom of Child Marriage) –

    भारतवर्ष में प्राचीनकाल से यह प्रथा चली आ रही है। इस प्रथा का प्रचलन अधिकांशतः ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है। वहाँ पर 15 से 20 वर्ष की आयु में ही विवाह कर दिये जाते हैं जिससे बच्चों की प्रजनन क्षमता अधिक हो जाती है।
  3. परिवार नियोजन की उपेक्षा (Indifference to Family Planning) –

    भारत में अधिकांश परिवारों द्वारा परिवार नियोजन की उपेक्षा की जाती है। भारतवासी रूढ़िवादी होते हैं जिसके कारण वे सामाजिकताओं में फंसे रहते हैं और वे परिवार नियोजन कार्यक्रम को गलत मानते हैं, परिणामस्वरूप जन्म-दर में वृद्धि हो जाती है।
  4. निर्धनता या निम्न जीवन स्तर (Poverty or Low Living Standard) –

    भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या का अभाव व्यक्तियों के आर्थिक जीवन पर भी पड़ा है। यहाँ की लगभग 43% जनसंख्या निर्धनता का शिकार है जो अपना जीवन निम्न स्तर पर गुज़ार रही है। यहाँ के व्यक्ति ऊँची आय का अर्जन नहीं कर पाते हैं जिसके कारण उन्हें अपना जीवन स्तर निम्न रखना उनकी मजबूरी हो जाता है।
  5. अन्धविश्वास (Superstitious) –

    अधिकांश भारतीय अन्धविश्वासी एवं भाग्यवादी हैं। उनका यह सोचना रहता है कि जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा तथा उनका यह सोचना भी रहता है कि “जिसने पेट दिया है वह खाना भी देगा।” इसी कारण भारत में अधिकांशतया निर्धनता व्याप्त है क्योंकि यहाँ के व्यक्ति अपना कर्म न करके अन्धविश्वास व भाग्यवादिता पर कायम रहते हैं।
  6. गर्म जलवायु (Hot Climate)-

    भारत की जलवायु गर्म है। यह गर्म जलवायु प्रजनन क्षमता में वृद्धि कर देती है तथा कम उम्र में ही प्रजनन क्षमता उत्पन्न कर देती है। अतः यहाँ के कम उम्र के बालक और बालिकायें शीघ्र ही विवाह करना चाहते हैं जबकि नम जलवायु के देशों में ऐसा नहीं होता है।
  7. शिक्षा का अभाव (Lack of Education) –

    भारतवर्ष में शिक्षा का अभाव पाया जाता है। यहाँ के बालक और बालिकाओं को यौन सम्बन्धी शिक्षा पूर्णतः नहीं मिल पाती है जिसके कारण वे यौन सम्बन्धों में किसी प्रकार का नियंत्रण न करके अपने जीवन का आनन्द उठाते रहते हैं, किन्तु इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे अधिक पैदा हो जाते हैं जिनका अच्छी प्रकार से भरण-पोषण भी नहीं हो पाता है। शिक्षा के अभाव के कारण व्यक्ति इस समस्या का अनुमान पूर्व में नहीं लगा पाते हैं।
  8. धार्मिक विश्वास (Religious Faith) –

    भारतीयों में धार्मिक विश्वास बहुत अधिक देखने को मिलता है। यहाँ का व्यक्ति बिना पुत्र के अपना जीवन निरर्थक समझता है। कभी-कभी तो यह देखा जाता है कि पुत्र की जन्म की आशा में कई पुत्रियाँ पैदा हो जाती हैं। भारतीय समाज में यदि किसी के संतान नहीं होती है तो उसे बहुत हेय दृष्टि से देखा जाता है। अतः इस कारण भी जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है।
  9. मृत्यु दर में गिरावट (Fall in Death Rate)-

    भारतवर्ष में अच्छी स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध होने लगी हैं जिसके कारण यहाँ के व्यक्ति दीर्घ जीवन प्राप्त करने लगे हैं इसका परिणाम यह हुआ है कि मृत्यु दर में गिरावट आयी है जबकि जन्म-दर में वृद्धि हुई है। अतः जनसंख्या वृद्धि निश्चित हो गयी है। 1991 की जनगणना के अनुसार मृत्यु दर का प्रतिशत 11 था जो कि घटकर 1998-99 में केवल 9 रह गया।
  10. शरणार्थी समस्या (Refugee Problem)-

    भारत में जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण शरणार्थी समस्या भी है। भारत के विभाजन एवं भारत-पाकिस्तान के युद्ध (1971) के पश्चात् अनेकों शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आये उनके इस पुनर्वास के कारण भारत की जनसंख्या में और अधिक वृद्धि हुई है।
  11. मनोरंजन के साधनों का अभाव (Lack of Recreative Sources) –

    भारत में मनोरंजन के साधनों का अभाव पाया जाता है तथा जो भी मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं उनका उपभोग व्यक्ति निर्धनता के कारण नहीं कर पाता है अतः वह अपनी पत्नी को ही मनोरंजन का साधन बना लेता है। परिणामस्वरूप उसके मनोरंजन में ही बच्चे अधिक पैदा हो जाते हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि करते हैं।

भारत में जन्म दर ऊँची होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं –

  1. परिवार नियोजन के साधनों का अभाव,
  2. गरीबी
  3. अन्धविश्वास एवं परम्परावादी सामाजिक संरचना,
  4. गर्म जलवायु
  5. शिक्षा की कमी,
  6. मनोरंजन के साधनों की कभी,
  7. महिलाओं को कम सम्मान,
  8. संयुक्त परिवार प्रथा,
  9. बाल श्रम का प्रचलन आदि ।

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