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भारत में जनसंख्या वृद्धि एवं उसकी प्रवृत्तियां

भारत में जनसंख्या वृद्धि एवं उसकी प्रवृत्तियां

भारत में जनसंख्या

भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का मात्र 2.4 प्रतिशत है, जबकि भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत है। इस प्रकार जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का स्थान सातवाँ है। भारत की जनसंख्या (121, 02 करोड़) संयुक्त राज्य अमेरिका, इण्डोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश और जापान की संयुक्त जनसंख्या (121.43 करोड़) के लगभग बराबर है। भारत की जनसंख्या में 2001 से 2011 के दौरान 18.1 करोड़ की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि विश्व की पाँचवीं सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश ब्राजील से थोड़ा ही कम है।

भारत मूलतः गाँवों का देश है। इस देश में कुल 6.41 लाख ग्राम है, जहां देश की 72.2 प्रतिशत (2001) जनसंख्या निवास करती है।

वर्ष जनसंख्या

(करोड़ में)

दशाब्दी अंतर

(करोड़ में)

प्रतिदशक वृद्धि दर (%) औसत वार्षिक घातांक वृद्धिदर (%)
1901 23.83
1911 25.20 1.36 +5.75 0.56
1921 25.13 0.07 -0.31 -0.03
1931 27.89 2.76 +11.00 1.04
1941 31.86 3.96 +14.22 1.33
1951 36.10 4.24 +13.31 1.25
1961 43.92 7.81 +21.64 1.96
1971 54.81 10.89 +24.80 2.20
1981 68.33 13.51 +24.66 2.22
1991 84.64 16.30 +23.87 2.16
2001 1,02.87 18.23 +21.54 1.97
2011 121.1* 18.14* +17.64* 1.64*

भारत की जनसंख्या 1901 में 23.83 करोड़ थी जो 1951 में 36.10 करोड़ हो गयी। इस, प्रकार आजादी के पूर्व तक भारत की जनसंख्या 50 वर्षों में 12.3 करोड़ ही बढ़ी थी जबकि 1951 से 2001 के मध्य भारत की जनसंख्या में 66.7 करोड़ की वृद्धि हुई। 2001 में भारत की जनसंख्या 102.87 करोड़ थी जो 2011 तक बढ़कर 121.01 करोड़ हो गयी।

वर्तमान में भारत की जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 17.64 प्रतिशत है जबकि वार्षिक वृद्धि दर 1.64 प्रतिशत है। वार्षिक वृद्धिदर को यदि 0.9 प्रतिशत तक लाया जाए तब भी 2045 के बाद भारत विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश होगा।

1911-21 के दशक में जनसंख्या में ह्रास (-0.31%) की स्थिति आयी जिसका कारण अकाल एवं महामारियों का प्रकोप था जिसके चलते मृत्युदर अधिक हो गयी थी।

1921 के पश्चात देश की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि प्रारम्भ हुई। इसलिए सन् 1921 को जनसंख्या के इतिहास में ‘महान विभाजक वर्ष’ कहा जाता है।

भारत की जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि 1961-71 के दशक में 24.80% हुई थी इसके पश्चात् 1911-81में 24.66%, 1981-91 में 23.87% का स्थान है। 2001-11 के दशक में वृद्धि अन्तिम रूप में 17.64% रही है। 15वीं जनगणना के दशक में भारत के राज्यों/संघ प्रशासित क्षेत्रों के सन्दर्भ में (2001-11) सर्वाधिक तथा न्यूनतम दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर क्रमशः दादर एवं नागर हवेली (55.5%) और नागालैण्ड (-) 0.47% का रहा। ध्यातव्य है कि 2001 के जनगणना में नागालैण्ड में दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक (64.53% ) थी।

भारत में जनसंख्या वृद्धि को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है.

  1. स्थिर जनसंख्या की अवधि-

    (1901-21 तक) इस अवधि में मृत्युदर बहुत अधिक थी इसके लिए महामारी, दुर्भिक्ष एवं खाद्य पदार्थों का अभाव उत्तरदायी था। अतः जन्म दर एवं मृत्युदर का स्तर कम होने से प्राकृतिक वृद्धि दर न्यून थी।

  2. धीमी गति से बढ़ती जनसंख्या-

    (1921-1951 तक) 1921 के पश्चात् उच्च मृत्युदर के लिए उत्तरदायी कारणों पर नियन्त्रण प्रारम्भ हो गया था। कृषि अर्थव्यवस्था में क्रमागत विकास, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं में महत्त्वपूर्ण वृद्धि से मृत्युदर को नियन्त्रित करने में सहायता मिली।

  3. तीव्र वृद्धिमान जनसंख्या-

    (1951-81 तक) 1951 में भारत की जनसंख्या 36.10 करोड़ थी जो 1981 में 68.33 करोड़ हो गयी। ऐसी अप्रत्याशित वृद्धि का मुख्य कारण विकास कार्य खाद्य आपूर्ति में सुधार तथा स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के कारण मृत्युदर में कमी थी। कारणस्वरूप जनसंख्या विस्फोटक अवस्था में पहुंच गयी।

  4. जनसंख्या वृद्धिदर में गिरावट-

    स्वतंत्रोपरांत जनसंख्या वृद्धि में प्रथम गिरावट 1971-81 के दशक में प्रारम्भ हुई जो 2011 में गिरकर अन्तिम रूप से 17.64 हो गयी। वर्तमान में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धिदर 1.64% है।

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