आर्थिक विकास का महत्व
आर्थिक विकास का महत्व
(Importance of Economic Development)
विश्व के सभी देशों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। धनी एवं निर्धन अथवा विकसित एवं अर्द्ध-विकसित। आर्थिक विकास का सम्बन्ध मुख्यतया अर्द्ध-विकसित देशों से ही जोड़ा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि धनी कहे जाने वाले राष्ट्र प्राप्ति की सभी मंजिलों को पार करने के पश्चात् विकास की अन्तिम मंजिलों को पार करने के पश्चात् विकास की अन्तिम मंजिल पर पहुँच चुके हैं, जबकि पिछड़े देशों का आर्थिक विकास आज भी रुका हुआ है।
आज आर्थिक विकास का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है, क्योंकि यह मानव की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का एकमात्र साधन है। आर्थिक विकास मानवीय सुरक्षा व कल्याण के लिए अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त निर्धनता, बेरोजगारी, धन व आय की असमानता और बाजार की अपूर्णताओं आदि को कम करने का एकमात्र उपाय आर्थिक विकास को ही माना जा सकता है। आर्थिक विकास की माँग बढ़ती है। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि होकर देश के आर्थिक विकास का प्रवाह तेजी से बढ़ने लगता है। आर्थिक नियोजन के अन्तर्गत जहाँ एक ओर राष्ट्रीय आय, उत्पादकता, रोजगार, आत्म-निर्भरता, पूँजी निर्माण व सामाजिक कल्याण आदि में वृद्धि होती है, उसके दूसरी ओर निर्धनता, विषमताओं, सामाजिक लागतों, असन्तुलित विकास, बेरोजगारी, एकाधिकार प्रवृत्तियों, शोषण, उत्पीड़न व्यापार चक्र व बाजार की अपूर्णताओं आदि का भी ह्रास होता है। आधुनिक युग का एक ही नारा है कि “जो सर्वाधिक बलशाली है, वही जीवित रह सकता है।” आर्थिक विकास का महत्व निम्नलिखित शीर्षकों से स्पष्ट होता है.
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सामरिक महत्व -
आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप देश में औद्योगिक प्रगति होती है और औद्योगिक शक्ति पर ही देश की सैनिक शक्ति निर्भर करती है। अतः आर्थिक विकास की सहायता से ही देश की सामरिक व प्रतिरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि - आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। इससे उनकी बचत क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है।
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करदान क्षमता में वृद्धि -
आर्थिक विकास से देश में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन प्राप्त होता है, जनता की आय बढ़ती है, उसकी करदान क्षमता बढ़ जाती है। देश की सरकार भी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अधिक से अधिक धन जनता से कर के रूप में वसूल करती है।
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सामाजिक सेवाओं में वृद्धि -
आर्थिक विकास के फलस्वरूप शिक्षा, आवास, चिकित्सा, मनोरंजन आदि सामाजिक सेवाओं में वृद्धि होती है, परिणामस्वरूप मृत्यु दर घटती है और औसत आयु बढ़ जाती है।
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कृषि पर अच्छा प्रभाव -
आर्थिक विकास से बेकार पड़ी भूमि पर भी कृषि की जान लगती है। उस पर नवीन साधनों व उपकरणों का प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उत्पादन सरलता से बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही जनसंख्या का भूमि पर भार भी कम होने लगता है।
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जीवन स्तर में वृद्धि तथा दरिद्रता से छुटकारा -
आर्थिक विकास का अर्थ वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना है। यह स्वाभाविक हैं कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर सभी लोगों की मौद्रिक आय में वृद्धि होगी, जिससे उनकी बढ़ती हुई क्रय शक्ति उनके जीवन स्तर में वृद्धि ला देगी।
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पूँजी निर्माण एवं नियोजन दर में वृद्धि -
आर्थिक विकास के कारण नये-नये उद्योग स्थापित होते हैं। उनके द्वारा लाभ अर्जित किये जाने के कारण विनियोजन की दर में एवं पूँजी निर्माण में वृद्धि होने लगती है। प्रो. लुईस के मतानुसार, “आर्थिक विकास के सिद्धान्त की मुख्य समस्या उस विधि को समझने से है, जिससे एक समुदाय, जो पहले अपनी राष्ट्रीय आय का 4 या 5 प्रतिशत ही बचत या विनियोग करता है और वह उसे 12 या 15 प्रतिशत तक परिवर्तित कर लेता है। आर्थिक विकास की मुख्य समस्या ज्ञान व योग्यता को पूँजी में सम्मिलित करते हुए पूँजी में वृद्धि करना है।”
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चयन का क्षेत्र व्यापक होना -
आर्थिक विकास से व्यक्ति का चयन क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक हो जाता है। इससे देश में नये प्रकार के उद्योगों की स्थापना होने से जनता की अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। अतः रुचि के अनुसार कार्य मिलने पर कार्यक्षमता बढ़ाना स्वाभाविक है।
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आर्थिक विषमता पर रोक -
न्याय की दृष्टि से देश में सामाजिक व आर्थिक समानता बनाये रखना अति आवश्यक समझा जाता है। धन का वितरण पूर्णतया न्यायपूर्ण व समान ढंग से होता है।
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आर्थिक उपलब्धियाँ-
आर्थिक विकास की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, अर्थव्यवस्था को अनेक आर्थिक लाभ मिलते हैं; जैसे- राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि, पूँजी निर्माण, व्यापार चक्रों से मुक्त अर्थात् आर्थिक स्थायित्व उत्पत्ति में साधनों का न्यायपूर्ण एवं सर्वोपयुक्त वितरण तथा प्राकृतिक साधनों का पूर्ण विदोहन आदि ।
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प्राकृतिक साधनों का उचित दोहन -
आर्थिक विकास की प्रक्रिया के माध्यम से किसी देश में उपलब्ध साधनों और श्रम शक्ति का समुचित उपयोग सम्भव हो सकता है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन और प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन की मात्रा बढ़ती है तथा उत्पादन लागत घटती है। लघु उद्योगों को आवश्यक कच्चा माल और उपकरण सस्ते मूल्य पर उपलब्ध होने से उसके विकास के अवसरों में वृद्धि होती है।
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निपुणता में वृद्धि-
आर्थिक विकास के कारण श्रमिकों के लिए चुनाव का क्षेत्र व्यापक हो जाने से उनकी निपुणता में वृद्धि होती है।
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नवीन उद्योगों का विकास एवं प्रादुर्भाव-
आर्थिक विकास के कारण देश में नवीन प्रकार के उद्योगों का विकास व जन्म होता है। इससे जनता को रोजगार के अच्छे अवसर प्राप्त होने लगते हैं। मूलतः बेरोजगारी की समस्या का समाधान होने लगता है। उत्पत्ति के विभिन्न साधनों का उपयोग सम्भव होने लगता है तथा उत्पादन में वृद्धि हो जाती है। अन्य बातें समान रहने पर, “जब उत्पत्ति के समस्त उपलब्ध साधनों का उपयोग किया जाता है, तो राष्ट्रीय आय भी अधिकतम होती है।”
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आर्थिक विकास मानवतावाद को जन्म देता -
प्रो. लुईस का मत है कि आर्थिक सम्पन्नता मनुष्य के आर्थिक व सामाजिक कल्याण के लिए अति आवश्यक है। अर्थ साधनों के अभाव में लोग दूसरों के लिए नहीं वरन् आत्म-सन्तोष के लिए अधिक चिन्ता करते हैं। यदि समाज के सभी लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है, तो शोषण, उत्पीड़न, वैमनस्य, लूट-खसोट, चोरी व डाका आदि अनैतिक कार्य स्वतः ही समाप्त होने लगते हैं, इसके स्थान पर स्नेह, सहयोग, सद्भावना तथा आत्मीयता का उदय होता है।
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प्राकृतिक प्रकोपों पर नियन्त्रण-
प्रारम्भ में मनुष्य को अपने जीवनयापन के लिए अथक प्रयत्न करने पड़ते थे। प्राकृतिक प्रकोपों से उत्पन्न कठिनाइयों का भी उसे सामना करना पड़ता था। किन्तु अब आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप, मनुष्य ने प्राकृतिक प्रकोपों पर विजय प्राप्त कर ली है। वह थोड़े से परिश्रम से ही पर्याप्त खाद्य सामग्री उत्पादन करने में सक्षम हो गया है। आर्थिक विकास के कारण ही दुर्भिक्ष, महामारी, अकाल आदि प्रकोप बहुत कम हो गये हैं और मनुष्य का जीवन इनसे मुक्त हो गया है।
आर्थिक विकास के महत्व के सम्बन्ध में प्रो. लुईस ने निम्नांकित विचार व्यक्त किये हैं।
- आर्थिक विकास व्यक्ति के चयन क्षेत्र को व्यापक बनाता है, क्योंकि आर्थिक विकास की प्रक्रिया के अन्तर्गत नवीन उद्योगों की स्थापना होती है। फलतः देशवासियों को विभिन्न श्रेणियों में कार्य करने का अवसर मिल जाता है।
- आर्थिक विकास से मनुष्य को अपने वातावरण पर अधिकाधिक नियन्त्रण करने का अवसर प्राप्त होता है तथा महामारियों का प्रकोप बहुत कम रह जाता है।
- आर्थिक विकास अधिकाधिक सेवाएँ, अधिक पदार्थ और अवकाश के अवसर उपलब्ध कराता है।
- आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप मशीनरी का उद्भव हो जाने के कारण अनेक कार्य सरलता से और शीघ्रता से किये जाने लगते हैं।
- आर्थिक विकास मनुष्य को अधिक मानवतावाद की ओर ले जाता है, क्योंकि आर्थिक विकास के कारण उसकी आय में वृद्धि हो जाती है। चूँकि सम्पन्न व्यक्ति अपनी आवश्यकता की पूर्ति के पश्चात् भी कुछ बचत कर लेता है। इससे वे असहाय व्यक्तियों की सहायता कर पाते हैं।
महत्वपूर्ण लिंक
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