संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ता के दायित्व निष्पादन के नियम

संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ता के दायित्व निष्पादन के नियम

संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ता के दायित्व निष्पादन के नियम

जब किसी संविदा में कई संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ता होते हैं, तो उनके दायित्वों के निष्पादन से सम्बन्धित नियम निम्नलिखित प्रकार हैं-

  1. संयुक्त दायित्वों का न्यागमन

    धारा 42 के अनुसार, “जब किसी संविदा में दो या दो से अधिक व्यक्तियों ने मिलकर सयुंक्त रूप से कोई वचन दिया है तो उन सबको अपने जीवनकाल में उस वचन को पूरा करना चाहिए और यदि उनमें से किसी की मृत्यु हो जाती हैं तो उसके उत्तराधिकारी को अन्य वचनदाताओं के साथ मिलकर वचन का निष्पादन करना चाहिए। यदि दुर्भाग्यवश सभी मूलवचनदाताओं का देहान्त हो जाता है तो सबके उत्तराधिकारियों को संयुक्त रूप से मिलकर उन वचनदाताओं द्वारा दिये गये वचन को पूरा करना चाहिए। लेकिन यह नियम तभी क्रियाशील रहेगा जबकि संविदा से इसके विपरीत कोई आशय प्रकट न हो।”

  2. संयुक्त वचनदाताओं में से कोई भी पालन के लिए विवश किया जा सकेगा

    धारा 43 के अनुसार, “जब किसी संविदा में दो या दो से अधिक व्यक्तियों ने मिलकर कोई वचन दिया है, वहाँ प्रतिज्ञाग्रहीता को यह भी अधिकार होगा कि वह उन सभी में से एक को या अधिक को पालन के लिए बाध्य करे अर्थात् वह उनमें से किसी एक से भी वचन के निष्पादन की माँग कर सकता है।”

उदाहरण के लिए ‘क’, ‘ख’ और ‘घ’, ‘द’ के संयुक्त रूप से 200 रुपये के लिए ऋणी हैं। ‘द’ को इसमें यह अधिकार होगा कि वह अपने 200 तीनों में से किसी से भी वसूल कर ले। लेकिन यह नियम तभी लागू होगा जब संविदा से इसके विपरीत कोई आशय न निकलता हो।

  1. संयुक्त वचनदाताओं में से एक की निर्मुक्ति का प्रभाव

    धारा 44 के अनुसार, “जहाँ कि दो या अधिक व्यक्तियों ने एक संयुक्त वचन दिया हो, वहाँ वचनग्रहीता द्वारा ऐसे संयुक्त वचनदाताओं में से एक की निर्मुक्ति अन्य संयुक्त वचनदाता या संयुक्त वचनदाताओं को उन्मोचित नहीं करती और न वह ऐसे निर्मुक्त संयुक्त वचनदाता को अन्य संयुक्त वचन दाताओं के प्रति उत्तरदायित्व से ही मुक्त करती है । “

  2. संयुक्त अधिकारों का न्यागमन

    धारा 45 के अनुसार, ‘ “जब किसी संविदा में दो या दो से अधिक व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से कोई प्रतिज्ञा की है, तो ऐसी प्रतिज्ञा के पालन की माँग करने का अधिकार सभी वचनग्रहीताओं को होता है। उन संयुक्त वचनग्रहीताओं में से किसी एक की मृत्यु होने पर उसके वैध उत्तराधिकारी को अन्य शेष वचनग्रहीताओं के साथ प्रतिज्ञा को पालन कराने का अधिकार होता है और और उन सब संयुक्त वचनग्रहीताओं के मरने पर उनके सभी वैध उत्तराधिकारियों को संयुक्त रूप से निष्पादन की माँग करने का अधिकार होता है जब तक कि संविदा इसके विपरीत न हो।”

संयुक्त वचनदाताओं के दायित्व के न्यागमन के सम्बन्ध में अंग्रेजी विधि और भारतीय विधि में अन्तर-

  1. भारतीय विधि के अनुसार, संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ताओं की मृत्यु होने पर वचन के निष्पादन का दायित्व उनके वैध उत्तराधिकारियों पर आ जाता है और उन्हें उस वचन का संयुक्त रूप से निष्पादन करना होता है।

जबकि अंग्रेजी विधि के अनुसार, संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ताओं की मृत्यु पर उनके दिये गये वचन के पालन करने का दायित्व भार उनके प्रतिनिधियों पर नहीं होता। अतएव शेष जीवित वचनदाताओं को ही निष्पादन कार्य पूरा करना पड़ता है।

  1. भारतीय विधि के अन्तर्गत प्रतिज्ञाग्रहीता को यह अधिकार है कि वह प्रतिज्ञा के पालन के लिए सभी संयुक्त वचनदाताओं को संयुक्त रूप से या उनमें से किसी एक को पृथक रूप से मजबूर कर सकता है, जबकि उसके विपरीत संविदा न की गयी हो।

जबकि अंग्रेजी विधि के अनुसार, प्रतिज्ञाग्रहीता को पृथक् रूप से संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ताओं में से किसी एक को निष्पादन के लिए मजबूर करने का अधिकार न होगा।

  1. भारतीय विधि के अनुसार, संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ताओं में से किसी एक की मुक्ति से अन्य शेष संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं होते।

जबकि अंग्रेजी विधि के अनुसार, संयुक्त प्रतिज्ञाकर्ताओं में से किसी एक की मुक्ति से अन्य शेष सभी प्रतिज्ञाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं।

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