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थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण

थॉर्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण

थॉर्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण (Thornthwaite’s Climatic Classification)

  1. भूमध्यवर्ती जलवायु प्रदेश

भूमध्यवर्ती जलवायु प्रदेश 5° उत्तरी अक्षांश के मध्य विस्तृत है। इसमें अमेजन बेसिन, कांगों बेसिन, गिनी तट, हिन्देशिया तथा दक्षिणी मलेशिया सम्मिलित हैं।

  • जलवायु-

    इस भाग में सूर्य वर्षपर्यन्त लम्बवत् चमकता है, इसलिए साल भर अधिक तापमान रहता है। इसका औसत तापमानर 27° सेग्रे. रहता है और वार्षिक ताप-परिसर 1° से 30 सेग्रे0 रहता है। इस भाग में दिन-रात बराबर होते हैं, फिर भी सूर्य से सीधे प्रभाव से दैनिक ताप-परिसर 6° से. तक रहता है। यहां की रातें ही इस प्रदेश शीत ऋतु हैं। सिंगापुर का वार्षिक ताप-परिसर 1.6° सेग्रे. और बेलवेयों(रोडेशिया) का 10 से होता है।

वर्षा सालभर तक संवहनीय हवाओं से होती है। कुछ वर्षा तड़ित झंझाओं से होती है। इस भाग में इसकी प्रचण्डता उच्चतम होती है। मार्च एवं सितम्बर के महीने में जल सूर्य की किरणें सिर पर सीधी पड़ती वर्षा की कहीं-कहीं पर 2,540 मिमी. से 5,080 मिमी. तक वर्षा हो जाती है। वार्ड महोदय के अनुसार, डोलड्रम पेटी की औसत वार्षिक वर्षा 250 सेमी. हे। इकाई द्वीप के काई द्वीप पर औसत वार्षिक वर्षा 1,126 सेमी. होती है। वायु की आर्द्रता लगभग 80 प्रतिशत होती है। दोपहर के बाद गर्जन, तड़पन तथा चमक के साथ वर्षा होती है। इसी कारण तापमान की उतनी अधिकता नहीं हो पाती है, जितनी शुष्क वायु वाले क्षेत्रों में हो जाती है।

  • प्राकृतिक वनस्पति-

    अत्यधिक वर्षा एवं गर्मी के कारण घने एवं बीहड़ जंगल पाये जाते हैं। इनके पेड़ों की 60 मीटर से 120 मीटर ऊंचाई, छतरीनुमा शाखाएं और सघन पत्तियों लिपटी हुई बेलों की सहायता से सूर्य प्रकाश को नीचे भूमि तक पहुंचने से रोक देती हैं। इन वर्गों को ‘सेल्वा’ भी कहते हैं। इन वनों के मुख्य पेड़ महोगनी, रोजवुड, सिनकोना, चन्दन केला, हरित रबड़, बांस आदि महत्वपूर्ण हैं।

  • जीव-जन्तु-

    इन जंगलों की भूमि पर शक्तिशाली जानवर, जैसे- हाथी, गेंडा, जंगली सुअर आदि रहते हैं। जो सघन बनों को चीरते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान को जा सकते हैं। नदियों में दरियाई घोड़े, मगर तथा घड़ियाल मिलते हैं। मांसाहारी विशाल जानवरों में जेगुवार, प्यूसा तथा स्लाथ मुख्य हैं। पेड़ों के ऊपर रंग-बिरंगी तितलियां, भांति-भांति के बन्दर तथा अन्य जानवर मिलते हैं। रेंगने वाले जानवरों में सर्प बहुत अधिक हैं। इक्वेडोर में लामा, अल्पाका और बिकूना पशु मिलते हैं।

  • आर्थिक दशा-

    यहां के लोग असभ्य एवं पिछड़े हुए हैं। विकसित भागों में जंगलों को साफ करके रबड़, गन्ना, कहवा, कोको, अनन्नास, केला, मसाले, गेहूं एवं चावल की कृषि हो रही है। इण्डोनेशिया तथा मलाया इसके उदाहरण हैं। घने जंगलों में रबड़ एवं हाथी-दांत एकत्र किये जाते हैं।

इन प्रदेशों में खनिजों का पता नहीं लग पाया है, क्योंकि ये प्रदेश अविकसित हैं। मलाया में टिन, जावा, सुमात्रा एवं बोर्नियों में मिट्टी का तेल, कटांगा (अफ्रीका) में तांबा, रेडियम, सीसा एवं चांदी और घाना में सोना मिलता है।

  1. मानसूनी जलवायु प्रदेश

यह प्रदेश महाद्वीपों के पूरबी भागों में 50 से 30 डिग्री अक्षाशों के मध्य मिलता है। भारत, पाकिस्तान, म्यांमार, हिन्द चीन, दक्षिणी चीन, पश्चिमी द्वीपसमूह, ब्राजील का पूरबी तट, मलागासी तथा पूरबी अफ्रीका का तटीय भाग, ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग तथा कोलम्बियां एवं वेनेजुएला का उत्तरी तट मानसूनी जलवायु के प्रदेश हैं।

  • जलवायु-

    इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु गर्म रहती है। तापमान 27° ग्रे. से 32° सेग्रे. तक रहता है। पाकिस्तान में जेकोबाबाद नगर का तापमान 52° से. तक पहुंच जाता है। इस प्रदेश में जाड़े का औसत तापमान 17° सेग्रे. से 24° सेग्रे. तक रहता है। प्रायः ताप-परिसर, 12 डिग्री सेग्रे. से 16° सेग्रे. रहता है, किन्तु ग्रीष्म ऋतु मं शुष्क भागों में दैनिक विभिन्नता मिलती है। प्रायः वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। इस प्रदेश की औसत वर्षा 127 मिमी. से लेकर 11,430 मिमी. तक है। चेरापूंजी संसार का सर्वाधिक वर्षा का स्थान है। वर्षा की अनिश्चितता इस प्रदेश की मुख्य विशेषता है।

इस प्रदेश में ग्रीष्म, शीत तथा वर्षा की तीन ऋतुएं हैं। उष्णकटिबन्धीय चक्रवात के विभिन्न रूप दृष्टिगोचर होते हैं पश्चिमी द्वीपसमूह में हरीकेन, चीन में टाइफून, फिलीपाइन में वेग्विस और उत्तरी-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विल्ली-विल्लीज चक्रवात चलते हैं।

इस जलवायु का प्रधान लक्षण ग्रीष्मकाल में उष्णार्द्र जलवायु और ग्रीष्मकाल में ठण्डी और शुष्क जलवायु के प्रदेश में सदाबहार होने से इसको उन्नतशील प्रदेश कहते हैं।

  • प्राकृतिक वनस्पति-

    वर्षा की माख में अन्तर होने से वनस्पतियों में बड़ा अन्तर मिलता है। अधिक वर्षा के प्रदेश में सदाबहार के घने वन हैं, जिनमें महोगनी, देवदार आदि के वृक्ष मिलते हैं। मानसूनी वनों में साल, सागौन, शीशम, आम, बांस इत्यादि वृक्ष उगते हैं। कम वृष्टि के भागों में बबूल तथा झाड़ियां भी मिलती हैं।

  • जीव-जन्तु-

    यहां सूडान प्रदेश के सभी पशु मिलते हैं। हिमालय का याक बैल तथा म्यांमार एवं देश के हाथी बहुत प्रसिद्ध हैं। आर्थिक दशा-यह प्रदेश कृषि प्रधान है। चावलं, जूट, कपास, तिलहन, चाय, कहवा, गन्ना आदि की विस्तृत खेती होती है।

  1. उष्ण मरूस्थली जलवायु प्रदेश

यह प्रदेश महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में 200 से 30° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। ऐसे भाग थार, अरब कालाहारी, कोलोरेडो, अरीजोना, अटकामा तथा पश्चिमी ऑस्टेलिया हैं। इन मरूभूमियों का विस्तार विभिन्न महाद्वीपों के आकार तथा धरातल पर निर्भर करता है।

  • जलवायु-

    इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है। उत्तरी गोलार्द्ध के भागों में जुलाई का औसत तापमान 32° सेग्रे. से अधिक रहता है। जनवरी का औसत तापमान 18° सेग्रे. होता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में समुद्री प्रभाव के फलस्वरूप जनवरी का औसत तापमान 2 ° सेग्रे. और जुलाई का 100 से रहता है। दिन का अधिकतम तापमान 490 सेग्रे. से 550 सेग्रे, हो जाता है, रात्रि का 21 डिग्री सेग्रे, हो जाता है। इस प्रकार दैनिक ताप-परिसर 27 डिग्री सेग्रे. से अधिक तक पहुंच जाता है। संसार के अधिकतम तापमान के स्थान अजीजिया (उत्तरी अफ्रीका) का 58° सेग्रे. और जेकोबाबाद (पाकिस्तान) का 57° से. तापमान हो जाता है। शीत ऋतु की रात्रि की कड़ी सी पड़ती है और आकाश कुहरा से आच्छादित हो जाता है। ग्रीष्म काल में भी आधी रात को जाड़ा लगता है। धूल की आंधियां भयानक हैं। औसत वार्षिक ताप ‘परिसर 16° सेग्रे. तक रहता है। समुद्र तट पर तापमान और कम होता है।

मरूस्थलों में वर्षा का बड़ा प्रभाव रहता है। सहारा में वर्षा का औसत 254 मिमी. है। दक्षिणी अमेरिका में इक्विवे नगर में 1.5 सेमी. वर्षा होती है। मरूस्थल वर्षा रहित प्रदेश कहे जाते हैं।

  • प्राकृतिक वनस्पति-

    इस प्रदेश में वृक्ष एवं झाड़ियां मिलती हैं। वृक्षों की जड़े लम्बी, पत्ते छोटे एवं चमकदार और छाल मोटी तथा चिकनी होती है। ताड़ एवं खजूर मुख्य वृक्ष है।

  • जीव-जन्तु-

    ऊंट, पशु और शुतुरमुर्ग चिड़िया मुख्य जीवन हैं। ये बड़े ही उपयोगी सिद्ध होते हैं।

  • आर्थिक दशा-

    मरूद्यानों में ज्वार-बाजरा, तम्बाकू, फल एवं तरकारियां पैदा की जाती हैं। जहां सिंचाई की व्यवस्था हो गयी है, वहां गेहूं कपास आदि का भी उत्पादन हो रहा है।

यहां की झीलों से नमक प्राप्त होता है। चिली के उत्तरी भाग में शोरा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, कोलोरेडो तथा अरीजोना (सं.रा. अमेरिका) में सोना, चांदी और तांबा मिलता है। चिली में तांबा, लोहा, चांदी एवं बोरिक भी मिलता है।

  1. भूमध्यसागरीय जलवायु प्रदेश

यह प्रदेश महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर 30 डिग्री से 45 डिग्री अक्षांशों के मध्य स्थित है। इसके अन्तर्गत भूमध्य सागर के तटवर्ती देश, कैलिफोर्निया का मध्य भाग, मध्य चिलीका केप, प्रान्त, न्यूजीलैण्ड का उत्तरी द्वीप तथा आस्ट्रेलिया का दक्षिणी-पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं।

  • जलवायु-

    इस प्रदेश में गर्मी अधिक पड़ती है। ग्रीष्म ऋतु का औसत तापमान 21° सेग्रे. से 27° सेग्रे. तक रहता है। शीत ऋतु में साधारण ठण्ड पड़ती है, क्योंकि अफ्रीका के मरूस्थल से आने वाली गर्म हवाओं जैसे सिराक्को से तथा दिन में चमकदार सूर्य किरणों से ठण्ड कम हो जाती है। शीत ऋतु का तापमान 7° सेग्रे. से 100 सेग्रे. रहता है। ग्रीष्म एवं शीत ऋतु के तापमान में 16° सेग्रे. से अधिक अन्तर नहीं होता है। प्रायः वार्षिक ताप-परिसर 10 डिग्री सेग्रे. से 16° सेग्रे. के मध्य होता है। दैनिक ताप-परिसर 10° सेग्रे. से 12° से. तक रहता है।

इस प्रदेश में बोरा, सिराक्को, फोहन आदि हवाएं चला करती हैं।

  • प्राकृतिक वनस्पति-

    इस प्रदेश में शुष्क ग्रीष्म में जीवित रहने वाले मूसला, मोटी एवं चिकनी पत्ती, मोटी एवं चिकनी छाल, रोएंदार एवं गन्धपूर्ण पत्तियां वाले वृक्ष उगते हैं, लम्बी जड़ वाले वृक्ष, अंगूर की बेल तथा चेस्टनट, मोटे तथा चिकने पत्तों वाले सन्तरा, रोएंदार पत्तियों वाले जैतून, मोटी एवं चिकनी छाल वाले कार्क एवं ओक के वृक्ष यहां पाये जाते हैं। शंकु पत्ती वाले वृक्ष पाइन, फर, सीडार, साइप्रस, जुनिपर हैं, जो पहाड़ी भागों में मिलते हैं। चिली देश में चिली पाइन एवं एस्पिनो, ऑस्ट्रेलिया में यूकेलिप्टस, कर्रा एवं जर्रा के वृक्ष पाये जाते हैं। शहतूत के वृक्ष एवं अफ्रीका की अलफाफा, घास बड़े औद्योगिक महत्व की होती है।

  • जीव-जन्तु-

    भेड़-बकरी, तथा गाय-बैल यहां पाये जाने वाले मुख्य जानवर हैं।

  • आर्थिक दशा-

    यह प्रदेश संसार का सभ्य एवं विकसित भाग है। अन्य उद्यमों में खेती का प्रमुख स्थान है। फल का उत्पादन एवं उद्योग इनकी आर्थिक भित्ति है। जैतून, अंजीर, बादाम, अंगूर तथा सेब मुख्य फल हैं। इस प्रदेश की अंगूरी शराब संसार-प्रसिद्ध है।

पशुचारण का कार्य भी बहुत होता है। शीत भण्डार प्रणाली का विकास हो जाने से मांस एवं दुग्ध उद्योग बहुत विकसित हो गये हैं।

इस प्रदेश में खनिज पदार्थ मिलते हैं, किन्तु लोहा एवं कायला का सामंजस्य न होने से लौह उद्योग नहीं पनप सकते हैं। उत्तरी स्पेन में लोहा, चिली में कोयला एवं तांबा, इटली में पारा और गन्धक, कैलिफोर्निया में सोना एवं खनिज तेल और स्पेन में जस्ता, सीसा एवं पारा मिलता है।

  1. पश्चिम यूरोप तुल्य जलवायु प्रदेश

यह प्रदेश दोनों गोलाद्धों में महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर 450 से 65 डिग्री अक्षांशों तक विस्तृत हैं। इसमें ब्रिटेन, नार्वे, डेनमार्क, हॉलैण्ड, बेल्जियम, जर्मनी, उत्तरी फ्रांस, ब्रिटिश कोलम्बिया (स. रा. अमेरिका), दक्षिणी चिली एवं न्यूजीलैण्ड और तस्मानिया द्वीप सम्मिलित हैं।

  • जलवायु-

    इस प्रदेश की जलवायु पर समुद्र का अधिक प्रभाव है। इसमें ग्रीष्म ऋतु सुहावनी, होती है और जाडे में भी कम सर्दी पड़ती है। यहां शीत ऋतु का औसत तापमान 5° सेग्रे. और ग्रीष्म ऋतु 16° से. रहता है। ग्रीष्म ऋतु में भी 190 सेग्रे. से अधिक तापमान कभी नहीं होता है। वार्षिक ताप-परिसर 700 सेग्रें. के लगभग रहता है। गर्म जलधाराओं तथा समुद्री गर्म पछुवा हवाओं के कारण शीत ऋतु में भी तापमान हिमांक के नीचे नहीं जाने पाता है। दैनिक ताप-परिसर बहुत अधिक होता है, क्योंकि चक्रवात के कारण मौसम बड़ा अनिश्चित रहता है और कभी-कभी एक घण्टे में 2° सेग्रे. तापमान गिर जाता है। दैनिक ताप-परिसर लगभग 1° सेग्रे. से 4° सेग्रे. तक रहता है। पश्चिम से पूरब जाने में वार्षिक ताप-परिसर अधिक हो जाता है।

इस भाग में साल भर पछुआ हवा वर्षा होती है, किन्तु शीत एवं शरद ऋतुओं में अधिक वर्षा होती है। वर्षा का औसत 762 किमी. होता है, किन्तु पर्वतों के पश्चिमी ढालों पर 2,540 मिमी. वर्षा होती है। पश्चिम से पूरब जाने पर वर्षा की मात्रा कम होती है। इस जलवायु में कुहरा अधिक पड़ता है, क्योंकि उष्ण जल भाग पर बहने वाली आर्द्र वायु स्थल की शीतल वायु के सम्पर्क से कुहरा उत्पन्न कर देती है। पवनों के द्वारा यह कुहरा कभी-कभी 30-40 किलोमीटर दूर तक के भीतरी भाग में पहुंच जाता है।

  • प्राकृतिक वनस्पति-

    इस प्रदेश में चौड़ी पत्ती वाले वर्णपाती वन मिलते हैं। इनमें ओक, ऐस्पेन, बीच, ऐल्म, बर्च, तथा चेस्टनट के वृक्ष मिलते हैं। ऊंचे भागों में शंकुपत्ती के फर, चीड़, हेमलॉक, स्प्रूस तथा लार्च वृक्ष मिलते हैं। तस्मानिया द्वीप (ऑस्ट्रेलिया) में यूकेलिप्टस के वृक्ष मिलते हैं।

  • आर्थिक दशा-

    इस प्रदेश में विश्व के सभी उन्नतशील देश हैं। इनमें सभी प्रकार के उद्यम एवं उद्योग उन्नति पर हैं। ये देश विश्व पर शासन कर हैं। इस प्रदेश में केवल चिली अभागा है, जो पिछड़ा हुआ है।

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