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राइबोसोम की संरचना एवं कार्य

राइबोसोम की संरचना एवं कार्य

राइबोसोम की संरचना एवं कार्य

राइबोसोम्स (Ribosomes)

राइबोसोम सूक्ष्म कण हैं। ये एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की झिल्लियों में लगे हुये अथवा फिर कोशिकाद्रव्य में छितरे हुए मिलते हैं। ये कोशिका में प्रोटीन्स का संश्लेषण करते हैं, अतः इनको कोशिका की प्रोटीन फैक्ट्री भी कहते हैं। राइबोसोम को सर्वप्रथम रोबिनसन तथा ब्राउन (Robinson and Brown) ने सन् 1953 में पादप कोशिकाओं में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा था। पैलाडे (Palade) ने सन् 1955 में इनकी जन्तु-कोशिकाओं में खोज की तथा सन् 1956 में इन्हें जन्तु-कोशिकाओं से अलग करके इनमें RNA की उपस्थिति का पता लगाया। पैलाडे ने ही इनको “राइबोसोम” का नाम दिया। कोशिकाओं में राइबोसोम को डिफरेन्सियल सैण्ट्रिफ्यूगेशन विधि (differential centrifugation method) के द्वारा अलग किया जाता है जिसके अन्तर्गत एक ऐनालिटिकल सैण्ट्रिफ्यूज (analytical centrifuge) का उपयोग किया जाता है। ये कोशिका में प्रोटीनों का संश्लेषण करते हैं।

राइबोसोम सूक्ष्म कोशिकीय कण होते हैं जो स्तनियों की परिपक्व लाल रुधिर कणिकाओं (RBCs) को छोड़कर जन्तु तथा पादप की सभी कोशिकाओं में पाये जाते हैं। ये प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक दोनों ही कोशिकाओं में पाये जाते हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में ये स्वतन्त्र रूप से साइटोप्लाज्म में पाये जाते हैं। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में ये एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की बाहरी सतह पर तथा स्वतन्त्र रूप में कोशाद्रव्य में भी पाये जाते हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिका जैसे बैक्टीरिया में ये स्वतन्त्र अवस्था में पाये जाते हैं जिन्हें मोनोसोम्स (monosomes) कहते हैं। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में राइबोसोम्स एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की सतह पर गुच्छों के रूप में पाये जाते हैं। इनको पॉली-राइबोसोम (polyribosomes) कहते हैं। ये सक्रिय रूप से m-RNA की लड़ी में आपस में बंधे रहते हैं।

कोशिका में राइबोसोम की संख्या कोशिका के अन्दर उपस्थित RNA की मात्रा पर निर्भर करती है। एण्टामीबा कोलाई (Entamoeba coli) में इनकी संख्या 20,000 से 30,000 तक पायी, जाती है। खरगोश की प्रत्येक रेटींकुलोसाइट कोशिका में इनकी संख्या 1×105 होती है। जन्तु एवं पौधों की कोशिकाओं में इनका आकार 1500- 200A तक होता है। ये अत्यंत छोटे 80 Å आकार के और अत्यन्त बड़े लगभग 300Å के आकार के भी होते हैं। आकृति में ये लगभग चपटे तथा गोलाकार होते हैं।

राइबोसोम के प्रकार (Types of Ribosomes)

राइबोसोम्स दो प्रकार के होते हैं

  1. 708 राइबोसोम, ये बैक्टीरिया व नीली-हरी शैवाल में मिलते हैं जो लगभग 18nm के होते हैं।
  2. 80S राइबोसोम्स, ये यूकैरियोटिक कोशिकाओं में मिलते हैं। ये आकार में कुछ बड़े होते हैं। इनका सैडिमैण्टेशन कोफिसिएण्ट 80S तथा मॉलिक्युलर भार 4×10⁵ डाल्टन होता है।

रचना (Structure)

प्रत्येक राइबोसोम दो उपइकाई (subunit) से मिलकर बना होता है। प्रत्येक राइबोसोम के दो उपइकाई में रो एक बड़ी और गुम्बज के आकार की होती है जबकि दूसरी छोटी तथा बड़ी उपइकाई के ऊपर टोपी की तरह स्थित रहती है।

70S राइबोसोम बड़ी उपइकाई 50S तथा छोटी उपइकाई 30S से मिलकर बनी होती है। बड़ी उपइकाई का व्यास लगभग 160A से 180 तक होता है। छोटी 30A राइबोसोम्स उपइकाई 50S बड़ी राइबोसोमल उपइकाई के ऊपर टोपी के समान संलग्न पायी जाती है।

805 राइबोसोम में भी दो राइबोसोमल उपइकाई 60S तथा 40S होती हैं। 40S उपइकाई छोटी तथा 60S उपइकाई के ऊपर टोपी के समान स्थित रहती है। इस उपइकाई का आकार 230 x 140 x 115 Å तथा वास्तविक अवसादन गुणांक 36.98 होता है। इसमें 18S RNA का एक अणु तथा

33 प्रोटीन पाए जाते हैं।

बड़ी उपइकाई (60S) का अवसादन गुणांक 36.38 होता है। इसमें 5S, 5.8S तथा 28S RNA के एक-एक अणु तथा लगभग 50 प्रोटीन पायी जाती हैं।

राइबोसोम की दोनों उपइकाइयाँ एक-दूसरे से Mg + + आयनों की निम्न सान्द्रता के द्वारा जुड़े रहते हैं।

राइबोसोम्स की परासंरचना (Ultrastructure of Ribosomes)

वैसिलिस सबटाइलिस (Bacillus subtillis) वैक्टीरिया में नॉनिंगा (Nouninga) ने सन् 1967 में 70S राइबोसोम का इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इसका अध्ययन किया। इनके अनुसार 7OS राइबोसोम में बडी 5OS उपइकाई कुछ पैण्टागोनल (pentagonal) आकृति की तथा व्यास में 160 से 180 तक की होती हैं। इसके केन्द्र में एक 40 से 60 का गोलाकार क्षेत्र पाया जाता है। इसमें एक इलेक्ट्रॉन ट्रान्सपोर्ट कोर (electron transport core) भी उपस्थित रहता है। सन् 1968 में फ्लोरेण्डो (Florendo) ने 70S के 50S उपइकाई में एक छिद्र के समान पारदर्शक क्षेत्र का अध्ययन किया। इस छिद्र से होकर प्रोटियोलाइटिक तथा राइबोन्यूक्लिएज एन्जाइम्स प्रवेश नहीं कर सकते। इस प्रकार के छिद्र 80S राइबोसोम के बड़े 60S उपइकाई में भी पाये जाते हैं। 70S तथा 80S राइबोसोम की छोटी उपइकाई (30S तथा 40S) आकार में अनियमित तथा दो भागों में विभाजित रहती हैं। इनके ये दोनों भाग 30Å से 60 Å मोटे स्ट्रैण्ड (strand) या तन्तु की समान रचना द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं।

रासायनिक संघटन (Chemical Composition)

राइबोसोम प्रोटीन RNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं। 709 राइबोसोम में 60% तथा 80S राइबोसोम में 45% RNA होता है।

  1. राइबोसोमल प्रोटीन (Ribosomal Proteins)-

    राइबोसोम के प्रोटीन घटक अत्यन्त जटिल होते हैं। यूकेरियोटिक कोशिकाओं के राइबोसोम में लगभग 50 से भी अधिक प्रोटीन पायी जाती हैं। इनमे से छोटी उपइकाई (40S) में 23 प्रोटीन तथा बड़ी उपइकाई में (60S) में 30-34 प्रोटीन होती है। प्रोटीन राइबोसोग के चारों ओर परिधीय भाग में पायी जाती हैं।

  2. राइबोसोमल एन्जाइमेटिक प्रोटीन (Ribosomal Enzymatic Proteins) –

    राइबोसोम के अन्दर अधिकांश प्रोटीन एन्जाइम की तरह कार्य करके विभिन्न चरणों में प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया को उत्प्रेरित करती हैं। कुछ प्रोटीन राइबोसोम में स्थानान्तरण कारक प्रोटीन कहलाती है। ये राइबोसोम पर mRNA के ऊपर स्थान परिवर्तन के लिए राइबोसोम के स्थल (site) से दूसरे स्थल पर tRNA के स्थानान्तरण आदि के लिए आवश्यक हैं।

राइबोसोमल RNA (Ribosomal RNA) –

  1. प्रोकैरियोटिक राइबोसोम (Prokaryotic Ribosome) –

    इसमें राइबोसोमल RNA (rRNA) तीन विभिन्न रूपों में मिलता है जो निम्न प्रकार हैं-

  • 23S rRNA : ये राइबोसोम के 505 उपइकाई में होते हैं। इसका आण्विक भार 1.2×10⁶ डाल्टन होता है। इसमें 3200 न्यूक्लिओटाइड़ होते हैं।
  • 5S rRNA : इसका आण्विक भार 3.2×10⁴ डाल्टन होता है और इसमें 120 न्यूक्लिओटाइड होते हैं।
  • 16S rRNA : ये राइबोसोम के 30S उपइकाई में होते हैं। इसका आण्विक भार 0.6 × 10⁶ डाल्टन होता है। यह 1600 न्यूक्लिओटाइड का बना होता है।
  1. यूकैरिओटिक राइबोसोम (Eukaryotic Ribosome) –

    इसमें चार प्रकार के राइबोसोमल RNA पाए जाते हैं जो क्रमश: 28S rRNA, 18S rRNA, 5.8S TRNA तथा 5S rRNA होते हैं।

  • 28S TRNA का आण्विक भार5 – 1.8 x 10⁸ डाल्टन होता है। 5.89 व 5S rRNA का आण्विक भार क्रमश: 5.0×10″ तथा 3.2×101 डाल्टन होता है। ये सभी rRNA 60S उपइकाई में पाए जाते हैं।
  • 18S rRNA राइबोसोम के 40S उपइकाई में पाया जाता है। इसका आण्विक भार7×10⁶ डाल्टन होता है।

राइबोसोम का जीवात्-जनन (Biogenesis of Ribosomes)

न्यूक्लिओलस (केन्द्रिक) की अनुपस्थिति के कारण बैक्टीरिया में राइबोसोम कोशिका द्रव्य में स्थित होते हैं। राइबोसोमल RNA जीनोम (Genome) के विशिष्ट सिस्ट्रोन्स से संश्लेषित होते हैं। किन्तु यूकैरियोट्स में यह क्रिया जटिल प्रकार की होती है तथा राइबोसोमल RNA न्यूक्लिओलस में संश्लेषित होता है। प्रारम्भ में न्यूक्लिओलर गुणसूत्र के न्यूक्लिओलस संगठन में 45S RNA निर्मित होता है। यही 45S RNA, 285 तथा 18S राइबोसोमल RNA का पूर्ववर्ती होता है।

सबसे पहले 45S न्यूक्लियोलर RNA अणुओं का मेथिलीकरण होता है (अर्थात् CH3 वर्ग जुड़ता है)। विभिन्न पदों के पश्चात् प्रत्येक मेथिलीकृत अणु 32S तथा 18S RNA में विभक्त हो जाता है। प्रत्येक पद में अणु के मेथिलीकृत भाग का क्षय होता है। 189 अणु तुरन्त ही कोशिकाद्रव्य में पहुँच जाते है।

कोशिकाद्रव्य में संश्लेषित होने वाली प्रोटीन में न्यूक्लिओलस का महत्वपूर्ण योगदान होता है। mRNA तथा t- RNA की सहायता से ये कोशिका द्रव्य में से ऐमीनो अम्लो का वरण करके लम्बी पोलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ बनाते हैं।

राइबोसोम के कार्य (Functions of Ribosomes)

राइबोसो का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना है। इसकी छोटी उपइकाई mRNA के जुड़ने के लिए सतह प्रदान करती है तथा बड़ी उपइकाई प्रोटीन संश्लेषण के समय स्थानान्तरण तथा पारक्रमण में सहायक होती है।

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