Tintern Abbey Summary in Hindi
कविता का सारांश
सुविधा की दृष्टि से इस लम्बी कविता को हम चार भागों में बाँट सकते हैं। कवि ने स्वयं इसे चार छोटे-बड़े पैराग्राफों में बाँटकर ही प्रस्तुत किया है।
(पंक्ति संख्या 1 से 22 तक) प्रथम भाग-
इस भाग में कवि वाई नदी की दृश्यावली का विस्तृत चित्र प्रस्तुत करता है। पाँच वर्ष पहले वह यहाँ आया था और एक बार फिर वह इस मनोरम दृश्यं का आनन्द प्रार्त करने आया हुआ है। पुरानी स्मृतियाँ ताजी हो उठती हैं। नदी तट के सुपरिचित दृश्य उसके हृदय को गहराई तक स्पर्श कर जाते हैं।
(पंक्ति संख्या 22 से 49 तक) द्वितीय भाग—
इस भाग में कवि इस मनोरम प्राकृतिक दृश्य के मानसिक और नैतिक प्रभावों की व्याख्या करने का प्रयास करता है। यह प्रभाव करता है। यह प्रभाव पिछले पाँच वर्षों के अन्तराल में उसके अन्दर विकसित होते रहे हैं। इस दृश्यावली के स्मरणमात्र से उसे अशान्ति के क्षणों में एक दिव्य शान्ति और आनन्द की अनुभूति होती रही है और कितनी ही बार शान्ति के इन दिव्य क्षणों में वह इस प्रकार तन्मय हुआ है कि उसे ऐसा लगा है जैसे उसकी सब शारीरिक क्रियाएँ कुछ देर के लिए थम-सीं गयी हों। प्राकृतिक दृश्यों की स्मृतिमात्र से उत्पन्न इन अनुभूतियों का मानव जीवन की अच्छाई से गहरा सम्बन्ध है।
(पंक्ति संख्या 49 से 111 तक) तृतीय भाग—
यह इस कविता का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। इसमें कवि अपने प्रकृति-सम्बन्धी दृष्टिकोण के विकास-क्रम में हुए परिवर्तनों का चित्रण करता है।
कवि कहता है कि पिछली पंक्तियों में मानव मन और शरीर पर प्रकृति के प्रभाव का जो चित्र खींचा गया है सम्भव है वह भ्रान्तिमूलक हो। किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जीवन में तनावपूर्ण क्षणों में मैं अनेक बार सान्त्वना के लिए इन दृश्यों की ओर उन्मुख हुआ हूँ। और अब मैं इन विगत 5 वर्षों के दौरान होने वाले अपने मानसिक परिवर्तनों. पर दृष्टिपात करने की कोशिश करता हूँ। पहले तो चित्र कुछ धुंधला-सा लगता है फिर धीरे- धीरे तस्वीर साफ होने लगती है। मुझे लगता है कि इस सुरम्य प्राकृतिक दृश्यावली पर गहन चिन्तन करना न केवल वर्तमान में सुखदायी है वरन् वह भविष्य के लिए भी आनन्द का स्रोत बन सकता है। जब मैं पहली बार यहाँ आया था तो मैं एक उन्मुक्त वन्य पशु की भाँति कुलाँचे भरते हुए प्रकृति के सम्पर्क में उत्कट प्यार का अनुभव करता था। उस प्यार की अनुभूति में चिन्तन को कोई हाथ नहीं था। प्रकृति के प्रति मेरी प्रतिक्रिया एक प्रकार के नैतिक प्रभावों का माध्यम बन गयी है। उसका यह प्रभाव सर्वव्यापी है। धीरे-धीरे प्रकृति के दृश्यात्मक और ध्वन्यात्मक स्वरूपों से, जो इन्द्रियगम्य भी हैं और जिनमें हम अपनी कल्पना से रंग भी भरते हैं, हमारा सम्बन्ध निकटतर होता जाता है और प्रकृति हमारे लिए मार्गदर्शक, परिचारिका तथा रक्षक की भूमिका निभाती हुई हमारे नैतिक जीवन के लिए एक सशक्त सम्बल का काम करती है।
(पंक्ति संख्या 111 से अन्त तक) चतुर्थ भाग-
कविता के इस अन्तिम भाग में कवि अपनी छोटी बहन डोरोथी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है। प्रकृति के नाना रूपों के प्रति उसकी सहज कोमल संवेदनशीलता कवि को याद दिलाती है कि इन्द्रियों की संवेदनशीलता का एक कवि के लिए बहुत ही महत्त्व है।
कवि अपनी बहन को सम्बोधित कर कहता है कि मैं तुम्हारा अत्यन्त ऋणी हूँ। तुम्हारी चंचल आँखों में मुझे अपना पिछला जीवन तथा उसके आनन्द झाँकते-से प्रतीत होते हैं। अब मुझे मालूम हो गया है कि प्रकृति सदा आनन्ददायिनी बनी रहेगी। हव हमारे मन को अपने सौन्दर्य और शान्ति से अनुप्राणित करती रहेगी और हमारे अन्दर उच्च विचारों को पनपाती रहेगी। वह हमारे अन्दर इस विश्वास को भी पुष्ट करती रहेगी कि प्रकृति में हम जो कुछ भी देखते हैं वह मंगलमय है और यह विश्वास हमारे लिए प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ सम्बल का काम करेगा। मुझे विश्वास है कि भविष्य में तुम इस यात्रा को सदा याद रखोगी जिसने हम दोनों को अनिर्वचनीय सुख प्रदान किया है। मैं भी इन दृश्यों को कभी भूल नहीं पाऊँगा क्योंकि ये अपने आप में अविस्मरणीय तो हैं ही, इनके साथ ही तुम्हारा साहचर्य भी जुड़ा हुआ है। प्रकृति का पुजारी होकर मैं यहाँ आया था और प्रकृति से मेरा यह नाता कभी नहीं टूटेगा।
महत्वपूर्ण लिंक
- Critical appreciation of “The False Achitophel” by John Dryden
- Dryden as a Satirical Poet
- Poetry of Dryden: As Classical Poet, As Versatile Genius etc.
- Alexander Pope’s poetry- Pope as Satirist, Lyricist, Classicist etc.
- “Essay on Man” by Alexander Pope, Epistles II (Complete Explanation)
- Critical Appreciation of the poem “Nurse’s Song” (By William Blake)
- Nurse’s Song by William Blake | Summary & Complete Explanation
- Life and Work of William Blake- Birth, Education, Poetic Work etc.
- “Tintern Abbey” by Wordsworth- Introduction and summary
- Tintern Abbey- Line by Line Explanation (1 to 10 Context Stanza-wise)
- Tintern Abbey Stanza-wise Explanation (11 to 16 Context)
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