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स्मार्ट कक्षाएँ

स्मार्ट कक्षाएँ

स्मार्ट कक्षाएँ (Smart Classes)

स्मार्ट कक्षाएँ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की अनोखी देन हैं। यह कक्षाएँ शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में तथा शिक्षा शिक्षण के प्रसार-प्रचार में अपना बहुमूल्य योगदान निभा रही हैं। यहाँ स्मार्ट कक्षाओं से हमारा तात्पर्य उस नवीन शिक्षण प्रक्रिया से है जहाँ शिक्षा प्रदान कराने के लिए किसी विद्यालय भवन की कोई जरूरत ही नहीं होती यहाँ तो मात्र नये-नये तकनीकी साधनों द्वारा शिक्षा प्रदान करायी जाती है। यह कक्षाएँ आज श्रम, व्यय एवं समय की बचत का प्रमुख साधन हैं। इन कक्षाओं में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा के माध्यम हैं; यथा फोन, टेलीकॉन्फ्रेंसिंग, कम्प्यूटर, इण्टरनेट। स्मार्ट कक्षाओं में छात्र अपनी सुविधा तथा इच्छानुसार अपना रुचिकर विषय चुन लेता है।

स्मार्ट कक्षाओं का महत्व/उपयोगिता (Importance/Utility of Smart Classes)

स्मार्ट कक्षाओं का महत्व निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  • रोजगार में संलग्न तथा रोजगार की ओर अग्रसर व्यक्ति/छात्र इस शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से अपने इच्छित विषय की शिक्षा घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह शिक्षा जगत में अत्यन्त लाभकारी साधन है क्योंकि इसके प्रयोग में कहीं आने-जाने की जरूरत ही नहीं होती क्योंकि कम्प्यूटर स्क्रीन पर सभी तथ्य हमारे सामने उपस्थित होते हैं।
  • स्मार्ट कक्षा शिक्षण में विद्यालयी हलचल से छुटकारा मिलता है तथा ऐसी कक्षाएँ विशेष रुचिकर होती हैं। विद्यार्थी पूर्ण मनोयोग से शिक्षा प्राप्त करते हैं।
  • इस प्रकार की कक्षाओं की उपयोगिता उन छात्रों को अधिक है जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं।
  • स्मार्ट कक्षाओं का व्यवहारिक महत्व हैं ऐसी गोपनीय समस्याओं, यथा- यौन रोग, गर्भ-निरोध आदि में अधिक है जिनका ज्ञान प्राप्त करने में छात्र हिचकिचाते हैं।
  • वर्तमान समय में कुछ विद्यालय शिक्षकों द्वारा शिक्षा प्रदान कराने सम्बन्धी व्यय को स्थायी रूप से वहन नहीं कर पा रहे हैं। वह स्मार्ट कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा को सुलभ करा रहे हैं जिससे व्यय, श्रम एवं समय की बचत हो रही है।

स्लाइड प्रोजेक्टर (Slide Projector)

आज शिक्षा जगत में स्लाइड के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है। स्लाइड के माध्यम से किसी वस्तु विशेष को उसके वास्तविक आकार से कई गुना अधिक बड़े रूप में दिखाया जा सकता है। इसे मल्टी-मीडिया प्रोजेक्टर नाम से भी जाना जाता है।

स्लाइड प्रोजेक्टर द्वारा 35 सेमी. की स्लाइड को बड़े रूप में स्क्रीन पर दिखाया जाता है। इस प्रोजेक्टर को बिजली के माध्यम से चलाया जाता है। इस यंत्र को उत्तल तथा अवतल लैंस के सहयोग से बनाया जाता है। स्लाइड को एक प्रक्षेपी बल्ब जिसमें हैलोजन गैस भरी रहती है जो दूधिया प्रकाश देती है, क्रमशः लगायी गयी स्लाइडों को स्वतः एक-एक करके किसी रिमोर्ट कन्ट्रोल के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रदर्शित चित्रों को शिक्षक छात्रों को बताता जाता है कि इस समय स्क्रीन पर क्या दिखाया जा रहा है, शिक्षक प्रदर्शित सामग्री से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को छात्रों को समझाता है।

स्लाइड प्रोजेक्टर की विशेषताएँ (Characteristics of Slide Projector)

स्लाइड प्रोजेक्टर की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • इसमें स्क्रीन पर एक चमकीली एवं बड़ी आकृति द्वारा शिक्षण कार्य कराया जाता है।
  • स्लाइड प्रोजेक्टर के माध्यम से वास्तविक घटनाओं को बड़े-बड़े चित्रों के रूप में कक्षा में दिखाया जाता है।
  • इस प्रोजेक्टर में 120 स्लाइडों को क्रम से संचालित किया जाता है जिसे हम हाथ से या रिमोट कण्ट्रोल के द्वारा इन स्लाइडों को सरकाते जाते हैं।
  • वर्तमान में अब स्वचालित मैकेनिम्ज का उपयोग किया जा रहा है।
  • स्लाइडों के संचालन के साथ रिकॉर्ड की गयी कैमस्ट्री को भी साथ-साथ चलाया जाता है।
  • इस तकनीकी का रख-रखाव आसान है।

ओवरहैड प्रोजेक्टर की उपयोगिता (Use of Overhead Projector)

इसकी उपयोगिता कुछ इस प्रकार है-

  1. इसमें सम्पूर्ण कक्षा को नियन्त्रित किया जा सकता है।
  2. ओवरहैड प्रोजेक्टर के माध्यम से गृह-निर्मित वस्तुओं को पर्दे पर दर्शाया जा सकता है।
  3. इस माध्यम के द्वारा दुरूह एवं असम्भव विभिन्न घटनाओं को दर्शाया जा सकता है।
  4. ओवरहैड प्रोजेक्टर रख-रखाव एवं वजन में कम होता है तथा इसके माध्यम से व्यक्तिगत प्रस्तुतीकरण सम्भव है।
  5. इस माध्यम से विस्तृत भावों को कम दूरी पर प्राप्त किया तथा देखा जा सकता है।
  6. शिक्षक इस माध्यम का प्रयोग छात्रों के ध्यान को केन्द्रित करने में किया जाता है।
  7. इसके लिए अँधेरे कमरे को उपयोग में लाया जाता है तथा एक तैयार ट्रान्सपरेन्सी का प्रयोग किया जाता है।

इस माध्यम की कुछ सीमाएँ; जैसे—चॉक व बोर्ड की अपेक्षा अधिक व्ययपूर्ण, बिजली की आवश्यकता आदि हैं।

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