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ओम्बुड्समैन

ओम्बुड्समैन

भ्रष्टाचार आधुनिक राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की एक प्रमुख समस्या बन गया है। अतः ऐसी संस्थाओं की आवश्यकता अनुभव की जा रही है जो इस समस्या पर निर्भीकतापूर्वक विचार कर सके, इस सम्बन्ध में जनता की शिकायतों की समुचित छान-बीन कर उन्हें दूर करने की दिशा में प्रभावशाली हो सके और इस प्रकार जनता में प्रशासन के प्रति निरन्तर गिरते जा रहे विश्वास को पुनः स्थापित कर सके। ओम्बुड्समैन एक ऐसा ही स्वतन्त्र और सर्वोच्च अधिकारी होता है जो जनता का विश्वास जीतने के लिए उसकी शिकायतों को देखता है तथा उन पर उचित कार्यवाही करता है।

ओम्बुड्समैन एक स्वतन्त्र और सर्वोच्च अधिकारी होता है जो लोक सेवकों के विरुद्ध शिकायत सुनता है, सम्बन्धित विषय की जाँच-पड़ताल करता है तथा उचित कार्यवाही के लिए सिफारिश करता है। वह स्वयं की पहल पर भी जाँच-पड़ताल प्रारम्भ कर सकता है। प्रशासन में सुधार के लिए वह समझाने, आलोचना करने तथा प्रचार करने के साधनों को अपनाता है। वह कानूनी रूप से प्रशासनिक कार्यों को बदलने की शक्ति नहीं रखता। संयुक्त राज्य के सन्दर्भ में ओम्बुड्समैन की परिभाषा करते हुए प्रो० डोनाल्ड रोबट ने लिखा है, “यह व्यवस्थापिका का एक स्वतन्त्र और राजनीतिक रूप से तटस्थ अधिकारी है। प्रायः इसका संविधान में उल्लेख होता है। यह प्रशासनिक कार्यों के विरुद्ध जनता की शिकायतें सुनता और जाँच करता है। वह प्रशासनिक कार्य की आलोचना कर सकता है तथा उसे जनता में प्रचारित कर सकता है, किन्तु बदल नहीं सकता।”

ओम्बुड्समैन के कार्य

(Functions of Ombudsman)

ओम्बुड्समैन के कार्य बहुमुखी है और विभिन्न देशों में इन कार्यों में न्यूनाधिक अन्तर पाया जाता है। सामान्यतया ओम्बुड्समैन का मुख्य कार्य नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना है। लोक सेवकों, अधिकारियों आदि के विरुद्ध और कहीं-कहीं मन्त्रियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार सम्बन्धी आरोपों की जाँच करने, नागरिकों या संसद्-सदस्यों से प्राप्त शिकायतों की छानबीन करने और अपने निर्णयों तथा सुझावों को सम्बन्धित विभागों को भेजने आदि के महत्वपूर्ण कार्य ओम्बुड्समैन अथवा संसदीय आयुक्त को निभाने पड़ते हैं। उसके सुझाव सिफारिशों के रूप ही होते हैं, सरकार प्रायः उन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं होती है।

यद्यपि न्यायालय भी उपर्युक्त कार्य सम्पन्न करते हैं, तथापि न्यायिक प्रक्रिया जटिल, महँगी और विलम्बकारी होती है, अतः साधारण नागरिक इसे नहीं अपनाता है। व्यवस्थापिका भी जनता के कष्ट-निवारण की चेष्टा करती है, किन्तु एक व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत शिकायतों की याचिका इसमें प्रस्तुत नहीं कर सकता और न ही उसके निदान की आशा कर सकता है, अतः ओम्बुड्समैन एक उपयुक्त संस्था है जो प्रशासनिक कार्यों के प्रति औसत नागरिकों की शिकायतों से सम्बन्धित होती है। लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। यदि सरकार अनुत्तरदायी और जनहित के प्रति उदासीन होजाए तो नागरिकों के हितों की रक्षा में इस संस्था द्वारा महत्वपूर्ण सहयोग दिया जा सकता है।

ओम्बुड्समैन के अस्तित्व से ही लोक सेवकों में भय रहता है। वे शक्ति का दुरुपयोग अथवा अतिक्रमण नहीं करते हैं। यह संस्था एक माध्यम है जिसके द्वारा जनता और सरकार तथा लोक सेवक और विभागों के बीच एक प्रकार की संचार-व्यवस्था स्थापित की जाती है। यद्यपि इसके द्वारा जनता की सभी शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाता, तथापि निश्चय ही वे कम हो जाती हैं। यह प्रशासनतन्त्र को स्वच्छ रखने में मदद करता है। लोक सेवक इसके भय से नौकरशाहीपूर्ण व्यवहार नहीं करते और कार्य-पद्धति में सुधार करते रहते हैं। शिकायत दूर करने के अन्य तरीकों की अपेक्षा ओम्बुड्समैन अधिक श्रेष्ठ है क्योंकि इस तक जन-सामान्य की पहुँच है, यह निष्पक्ष होता है। इसके कार्यकर्ता विशेषज्ञ होते हैं तथा यह भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं करता। इस प्रकार से इस संस्था का प्रमुख कार्य प्रशासन से भ्रष्टाचार को समाप्त करना और प्रशासनिक अधिकारियों पर भ्रष्ट तरीके नहीं अपनाने के लिए अंकुश रखना होता है।

ओम्बुड्समैन की उपयोगिता और महत्व

ओम्बुड्समैन-संस्था को जहाँ भी अपनाया गया है वहाँ यह सफलतापूर्वक कार्य कर रही है और दूसरे देश भी इसकी उपयोगिता से अनभिज्ञ नहीं हैं। ओम्बुड्समैन संस्था का महत्व और उपयोगिता निर्विवाद है। प्रायः सभी विचारक यह मानते हैं कि इसके द्वारा प्रशासन की मूल समस्या भ्रष्टाचार और अकुशलता पर प्रहार किया जाता है। जॉन बी० मॉटीरो के अनुसार, “नियन्त्रण की विभिन्न व्यवस्थाओं में केवल ओम्बुड्समैन ही कुप्रशासन और भ्रष्टाचार से एक साथ निपटने का प्रयास करता है। इस संस्था के महत्व को निम्नानुसार स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. सामान्यतः इसे संसद की संस्था के रूप में स्थापित किया जाता है। यह संस्था संसद और सरकार से स्वतन्त्र रहते हुए अपने कार्यों का निर्वाह निष्पक्ष रूप से करती है।
  2. ओम्बुड्समैन प्रशासन का पर्यवेक्षणकर्ता ही नहीं है बल्कि व्यक्ति के अधिकारों का रक्षक भी है। इसके माध्यम से न्याय और निष्पक्षता की भावना का विकास होता है। जनता की ओर से यह प्रशासन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों पर दृष्टि रखता है, जनता की शिकायतों को सुनता और उन्हें दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव देता है।
  3. ओम्बुड्समैन का पुनरावलोकन प्रायः अर्द्ध-न्यायिक पद्धति का होता है। इसकी जाँच-पड़ताल अनौपचारिक होती है और शिकायतें आदि की जाँच करते समय इसे अधिकार होता है कि यह कार्यालय की फाइलों को देख सके तथा अधिकारियों के स्पष्टीकरण माँग सके। इस प्रकार ओम्बुड्समैन की प्रतिष्ठा बहुत ऊँची होती है और वह प्रभावशाली रूप में ‘जनहित रक्षक’ की भूमिका निभा सकता है।
  4. ओम्बुड्समैन संस्था बहुत कम खर्चीली और अत्यन्त छोटे आकार की होती है।
  5. ओम्बुड्समैन की कार्यवाही विस्तृत और जटिल नहीं होती, वरन् इसके कार्यों के केन्द्र-बिन्दु कुप्रशासन प्रक्रिया, भ्रष्टाचार आदि से सम्बन्धित मूल प्रश्न होते हैं, अतः यह अपने कार्यों का बड़े ही प्रभावशाली तरीके से निर्वाह कर सकता है।
  6. इसकी कार्यवाही में पर्याप्त लोचशीलता रहती है। इसके सामने कई विकल्प रहते हैं जिनमें से परिस्थिति के अनुसार यह किसी एक को चुन लेता है।
  7. इसकी जाँच-पड़ताल खुले रूप में होती है। इसके सभी अभिलेख प्रेस को दे दिए जाते हैं तथा उनका व्यापक प्रचार किया जाता है।
  8. इसके निर्णय तुरन्त कार्यवाही के आदेश न होकर सिफारिश के रूप में होते हैं जिनको विभाग साधारणतः स्वीकार कर लेते हैं।
  9. इसकी प्रक्रिया स्पष्ट और सरल होती है। कोई व्यक्ति स्वयं प्रभावित न होते हुए भी इससे प्रशासन की शिकायत कर सकता है, किन्तु यह जाँच-पड़ताल तभी प्रारम्भ करता है जब इसे विश्वास हो जाए कि शिकायत के पीछे कोई स्वार्थ की भावना नहीं है। व्यक्तिगत स्वतन्त्रता से वंचित व्यक्ति लिखित रूप में ओम्बुड्समैन से सम्पर्क स्थापित कर सकता है।
  10. किसी अधिकारी के विरुद्ध मामला बनाते समय यह अपने विवेक का प्रयोग करता है। यह किसी अधिकारी को दण्ड नहीं दे सकता है। अधिक से अधिक इतना कर सकता है कि उसे न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत कर दे, किन्तु ऐसा यह अपवाद के रूप में तभी करता है जब इसके पास कोई विकल्प न रहे।
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