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जे. बी. से का आर्थिक विचार

जे.बी.से के आर्थिक विचार

जे.बी.से के आर्थिक विचार

जे.बी. से (Jean Baptiste Say) स्मिथ, माल्थस एवं रिकार्डो द्वारा निर्मित क्लासिकी परम्परा का अनुयायी था। जे. बी. से फ्रांस के प्रतिष्ठित समुदाय के संस्थापक थे। से को एडम स्मिथ ने बहुत अधिक प्रभावित किया। वह स्मिथ के सच्चे शिष्य थे। जे.बी. से ने स्मिथ के विचारों को स्पष्ट एवं क्रम रूप में प्रस्तुत करके लोकप्रिय करने का प्रयास किया।

राजनीतिक अर्थव्यवस्था : प्रकृति एवं क्षेत्र

जे.बी. से ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था की प्रकृति एवं क्षेत्र के बारे में स्पष्ट रूप से विचार रखे। उनके अनुसार ‘राजनीतिक अर्थव्यवस्था’ नियमों का एक अध्ययन है जो धन को नियमित करता है। उन्होंने अर्थशास्त्र को तीन मुख्य भागों उत्पादन, वितरण एवं उपभोग में विभाजित किया। वितरण के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय को लगान, मजदूरी एवं लाभ के रूप में वितरित करने का सुझाव दिया। उनका विश्वास था कि व्यवसाय करने करने का कार्य पूँजीपति के कार्य से भिन्न होता है। उन्होंने उसे उद्यमी के रूप में वर्णित किया । राजनीतिक अर्थव्यवस्था को इस प्रकार स्पष्ट एवं साधारण भाषा में परिभाषित करके, लोकप्रिय व्याख्या करने में सफल हुये।

अध्ययन की विधि

जे.बी. से आगमन विधि के पक्ष में थे। उनका कहना था कि राजनीतिक अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक विज्ञान में उपयोग की जाने वाली विधि ही अपनानी चाहिए। वह राजनीतिक अर्थव्यवस्था को शुद्ध सैद्धान्तिक एवं वर्णनात्मक विज्ञान के रूप में मानते थे। उनके अनुसार अर्थशास्त्री की भूमिका जाँच करना, विश्लेषण करना एवं विवेचन करना है, लेकिन सलाह देना नहीं है।

वह अर्थशास्त्र को व्यवहारवादी विज्ञान मानते हैं। से ने अर्थशास्त्र को कला के रूप में समझने की परम्परा को स्वीकार नहीं किया। इस सन्दर्भ में उनके विचार स्मिथ के विचार से भिन्न थे। जे.बी.से. शुद्ध वैज्ञानिक थे। वह अर्थशास्त्र को सामाजिक भौतिकी की तरह मानता था। वह कहता था कि अर्थशास्त्र भौतिकी के समान सार्वभौमिक नियमों पर आधारित शुद्ध विज्ञान है।

अभौतिक वस्तुओं का सिद्धान्त

एडम स्मिथ केवल भूमि को ही उत्पादक कारक मानते थे, जबकि डॉक्टर, जज, कलाकार, आदि को अनुत्पादक मानते थे। जे.बी.से. ने इस धारणा का विरोध किया और कहा कि प्रकृति मनुष्य को केवल कृषि में नहीं वरन् सभी जगह सहयोग देती है।

जे. बी. से द्वारा वर्णित प्रणाली में उद्यमी सभी उत्पादक के साधनों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। उद्यमी ही उत्पादन के सभी साधनों को इकट्ठा करता है। उद्यमी लाभ के रूप में अतिरिक्त बोनस प्राप्त करता है। इसमें शोषण का कोई तत्व नहीं होता है और आर्थिक प्रणाली स्वयं काम करती है। ‘से’ ने बताया कि “भौतिक वस्तुओं के उत्पादन का अर्थ यह नहीं है कि उसका सृजन किया गया है। उत्पादन का अर्थ केवल भौतिक पदार्थों के रूप को बदलकर उपयोगिता को उत्पन्न करना है. वस्तुओं की उस शक्ति को बढ़ाना है ताकि वे हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकें। वे सभी कार्य उत्पादक हैं जिनसे इस उद्देश्य की पूर्ति होती है। चाहे वह उद्योग, वाणिज्य अथवा कृषि हो।”

मूल्य

जे.बी. से का मूल्य सिद्धान्त मूल्य के क्लासिकी सिद्धान्त पर एक सुधार था। वह मूल्य के श्रम सिद्धान्त से सहमत नहीं था। उन्होंने उपयोगिता को महत्व दिया। उपयोगिता वस्तु का वह स्वभाविक गुण है जिससे मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है। उपयोगिता ही मूल्य का निर्धारण करती है। ‘से’ ने उपयोगिता पर आधारित मूल्य का मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त विकसित किया।

बाजार का नियम (Law of Markets)

आर्थिक विचारों में जे.बी. से के ‘बाज़ार नियम’ का महत्वपूर्ण स्थान है। उनका कहना है कि “पूर्ति स्वयं अपनी माँग का सृजन करती है।” ‘से’ का बाजार नियम इस बात को गलत सिद्ध करता है कि सामान्य अंति उत्पादन और बेरोजगारी सामान्यतः घटित होते हैं। ‘से’ के शब्दों में “यह उत्पादन है जो वस्तुओं के लिए बाजार सृजन करता है।” यह नियम वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था में लागू होता है। उनका कहना है कि प्रत्येक वस्तु की पूर्ति में उसकी माँग निहित होती है। ऐसी स्थिति में सामान्य अति उत्पादन नहीं होगा क्योंकि सम्पूर्ण रूप से वस्तु की माँग से पूर्ति अधिक नहीं हो सकती है। उनका कहना था कि सामान्य बेरोजगारी असंभव है। जेम्स मिल ने ‘से’ के नियम का समर्थन किया है उनके अनुसार, “उपभोग उत्पादन के साथ अस्तित्व में होता है और उत्पादन कारण है और माँग का एकमात्र कारण है। यह पूर्ति को पूरा किये बिना माँग को कभी भी पूरा नहीं करेगा।”

‘से’ का बाजार नियम अबन्ध नीति (Laissez Faire Policy) का आधार बन गयी। इसमें अर्थव्यवस्था का स्वतः समायोजन निहित है।

निष्कर्ष

जे.बी. से का आर्थिक विचारों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस सन्दर्भ में प्रो. हैने ने कहा है कि, “ वह स्मिथ या रिकार्डो नहीं था, किन्तु वह केवल प्रचलित करने वाला नहीं था……. राजनीतिक अर्थव्यवस्था का इतिहास जे.बी. से के बगैर भिन्न हो सकता था। उसने अपने सच्चे विचारों से अपने गुरु एडम स्मिथ के विचारों को फ्रांस की जनता तक पहुँचाया था। उसने फ्रांस की राजनैतिक अर्थव्यवस्था में एक-अमिट छाप छोड़ी।”

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