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सी. पी. ब्लेकर के अनुसार जनसंख्या परिवर्तन के चरण (Demographic Transition Theory according to C. P. Blacker)

जनांकिकीय संक्रमण के चरण- सी. पी. ब्लेकर के अनुसार

(Stages of Demographic Transition According to C. P. Blacker)

सी. पी. ब्लेकर के अनुसार जनांकिकीय संक्रमण के चरण

जनसंख्या के सिद्धान्तों में जनसंख्या का संक्रमण सिद्धान्त सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ है। यह सिद्धान्त आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में जनसंख्या वृद्धि सम्बन्धी अनुभव पर निर्भर है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों का विचार है कि आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में जनसंख्या वृद्धि भिन्न-भिन्न होती है। यह सिद्धान्त आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं से सम्बन्धित है। प्रो. सी. पी. ब्लेकर ने जनसंख्या विकास की पाँच अवस्थाओं को स्पष्ट किया है।

  1. प्रथम अवस्था (First Stage)-

    इस अवस्था में देश पिछडा हुआ होता है जिसमें जन्म तथा मृत्यु दरें ऊँची होती हैं, परिणामस्वरूप जनसंख्या की वृद्धि दर निम्न होती है। अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं और कृषि व्यवसाय में संलग्न होते हैं, जो पिछड़ेपन की एक स्थिति है। इसके अन्तर्गत वाणिज्य, बैंकिंग, परिवहन तथा बीमा भी है, जो अल्पविकसित है और दरिद्रता के लिए उत्तरदायी है। बड़ी आय के लिए बड़ा परिवार आवश्यक समझा जाता है। निरक्षरता के पैमाने पर होने के कारण साक्षरता पर जोर दिया जाता है। ग्रामीण लोग भाग्यवादी होते हैं अतः वे सन्तान निरोधी तरीकों से चिढ़ते हैं। इनका मानना है कि सन्तान भगवान की देन है। ये सभी आर्थिक तथा सामाजिक कारण देश में ऊँची जन्म-दर के लिए उत्तरदायी हैं। ऊँची जन्म-दर के साथ-साथ मृत्यु-दर भी ऊँची होती है क्योंकि कम कैलोरी गुण वाला अपौष्टिक भोजन प्राप्त होता है स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं तथा स्वच्छता की समझ का अभाव रहता है। लोग गंदे स्थानों पर अधिक रहते हैं जिससे मृत्यु अधिक होती है। इस प्रकार ऊँची जन्म-दर और मृत्यु दर लगभग दीर्घकाल में रहती है जिससे शून्य जनसंख्या वृद्धि के साथ एक स्थिर सन्तुलन पाया जाता है। इस अवस्था की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं :

  • जन्म और मृत्युं-दर का उच्च होना ।
  • आर्थिक विकास निम्नतम स्तर का होना।
  • जनसंख्या वृद्धि दर उच्च जन्म-दर व उच्च मृत्यु दर के कारण सन्तुलित होना ।
  1. द्वितीय अवस्था (Second Stage) :

    इस अवस्था में, अर्थव्यवस्था का प्रवेश आर्थिक वृद्धि की अवस्था में होता है। जिससे कृषि उत्पादकता, औद्योगिक उत्पादकता, श्रम की गतिशीलता, शिक्षा का प्रसार, आय एवं रोजगार की मात्रा में वृद्धि होती है। चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं का विस्तार होता है और लोग आधुनिक दवाओं का प्रयोग करने लगते हैं, जिससे मृत्यु दर घट जाती है। किन्तु जन्म-दर लगभग स्थिर रहती है। इस प्रकार जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होती है जिंससे जनसंख्या विस्फोट होता है। भारत जैसे विकासशील देश इस अवस्था से गुजर रहे हैं। इस अवस्था की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं-

  • इस अवस्था में मृत्यु दर में कमी आती है।
  • जन्म-दर और मृत्यु दर के बीच अन्तर बढ़ जाता है।
  1. तृतीय अवस्था (Third Stage) :

    यह अवस्था जनसंख्या विकास की विलम्बित विस्तारशील अवस्था है। इस अवस्था में कम हो रही मृत्यु दर, गिर रही जन्म-दर के साथ तेजी के साथ घटती जाती है। परिणामस्वरूप, जनसंख्या में घटती दर से वृद्धि होती है। इस अवस्था की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:

  • जनसंख्या कृषि से उद्योगों की ओर बढ़ती है।
  • लोगों को अधिक सुविधाएं उपलब्ध होने लगती हैं।
  • जन्म दर कम हो जाती है।
  • पुरुष और महिलाएं साथ-साथ काम करने लगते हैं।
  • लोग आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने तथा शिक्षा की ओर आकर्षित होते हैं।
  • कृत्रिम उपायों के द्वारा जनसंख्या नियन्त्रित की जाती है।.

c p blacker k anusar jansankhya parivartan ke charan

  1. चतुर्थ अवस्था (Fourth Stage) :

    इस अवस्था में जन्म-दर घटकर मृत्यु दर के बराबर होने लगती है जिससे जनसंख्या की वृद्धि दर गिर जाती है। संसार के उन्नत देश इस अवस्था से गुजर रहे हैं और उसमें जनसंख्या धीमी गति से बढ़ रही है। इस अवस्था में बच्चों के प्रति दृष्टिकोण बदलने के साथ जन्म दर कम हो जाती है।

  2. पंचम अवस्था (Fifth Stage) :

    विकसित देशों में घटती जनसंख्या की अवस्था उस समय होती है जब जन्म दरें निरन्तर घटती जाती हैं लेकिन मृत्यु दरों को और कम करना सम्भव नहीं होता है। किसी भी विकसित देश में इस अवस्था का होना अभी तक अनुमान ही है। इस अवस्था में पूर्ण रोजगार, आय आदि सर्वाधिक होने के कारण मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर बहुत कम हो जाती है।

उपरोक्त रेखाचित्र में सपाट रेखा वक्र रेखा द्वारा मृत्यु दर को तथा बिन्दु वक्र रेखा द्वारा जन्म-दर को दिखाया गया है। जिसके प्रथम चरण में जनसंख्या वृद्धि कम हो रही है। द्वितीय अवस्था जनसंख्या के अत्यन्त तीव्र गति से बढ़ने की अवस्था है। चतुर्थ अवस्थां के मध्य में जन्म दर तथा मृत्यु दर समान हैं। पाँचवीं अवस्था में जन्म-दर मृत्यु दर से नीची हो गयी है।

निष्कर्ष :

इस सिद्धान्त के निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि यह सिद्धान्त भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि वे इसकी विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार योजनाओं का निर्माण करके अपनी अर्थ-व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर सकते हैं।

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