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अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति तथा राजनीति में अंतर

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति और राजनीति में अन्तर

मूल रूप से दोनों का स्वरूप समान है। शक्ति के लिए संघर्ष दोनों की विशेषता है। दोनों के तत्व समान हैं। राष्ट्र, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के कार्यकर्ता हैं तथा समूह, राजनीति के कार्यकर्ता हैं। दोनों का स्वरूप एक समान ही है। राष्ट्रों के मध्य विरोध अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का आधार है तथा समूहों के मध्य हितों का विरोध राजनीति का भी आधार है। शक्ति, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति तथा राजनीति दोनों का आधार है। दोनों में ही शक्ति साधन तथा साध्य है। जैसे राजनीति में समूह अपने-अपने हितों को प्राप्त करना चाहते हैं। वैसे राज्य भी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में अपने हित प्राप्त करना चाहते हैं। ये सभी बातें अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति तथा राजनीति में विद्यमान समानता को प्रकट करती है। अतः राजनीति अर्थात् घरेलू राजनीति की भाँति अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भी शक्ति के लिए संघर्ष इस बात पर निर्भर करता है कि कौन, क्या, कब और कैसे प्राप्त करता है।

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति तथा राजनीति में भेद

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति तथा राजनीति में निम्नलिखित असमानताएँ भी हैं :

  1. कर्ताओं के सम्बन्ध में अन्तर

    राजनीति के क्षेत्र में समूह ही कार्यकर्ता (Actors) हैं। ये समूह राज्य द्वारा बनाये तथा लागू किये गये अधिकृत मूल्यों के वातावरण में क्रिया तथा प्रतिक्रिया करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभुसत्ता-सम्पन्न राष्ट्र प्रमुख कार्यकर्ता हैं। क्योंकि कार्यकर्ता प्रभुसत्ताधारी है। इसलिए कोई भी कानून, अतिरिक्त उसके जो उन्हें मान्य है और जिसका वे पालन करते हैं, उनके व्यवहार पर लागू नहीं होता। यद्यपि अन्तर्राष्ट्रीय कानून विद्यमान है परन्तु इसकी प्रकृति कानून तथा नैतिकता के बीचो-बीच है।

  2. बल की भूमिका के सम्बन्ध में अन्तर

    अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में शक्ति की भूमिका अधिक प्रत्यक्ष, निरन्तर तथा दृढ़ होती है। राष्ट्र अपने हितों तथा निर्णयों को दूसरों पर लादने के लिए शक्ति (बल) का प्रयोग, विशेषतः सैनिक शक्ति के प्रयोग, तानाशाही हस्तक्षेप तथा युद्ध आदि से हिचकिचाते नहीं। राजनीति की अपेक्षा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में विरोध तथा असहमतियाँ अधिक व्यापक होती हैं। गृह युद्ध तथा आतंकवाद राजनीति के क्षेत्र में नहीं आते परन्तु युद्ध, हस्तक्षेप, दखलबाजी तथा प्रतिशोध सभी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के भाग हैं। वास्तव में जो साधन राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों पर अपनी शक्ति प्रयोग के लिए प्रयोग करते हैं वे राजनीति में समूह द्वारा अपनाये गये साधनों की अपेक्षा बहुत अधिक गम्भीर होते हैं।

  3. अलग कानूनी आधार-

    राजनीति का आधार राज्य कानून होता है जबकि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का कानूनी आधार अन्तर्राष्ट्रीय कानून है।

  4. निश्चितता के सन्दर्भ में अन्तर

    क्योंकि राज्य कानून निश्चित तथा आधिकारिक है इसलिए राजनीति के क्षेत्र में अन्तक्रियाएं काफी सीमा तक निर्धारित तथा व्यवस्थित होती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सब इसके विपरीत होता है। राष्ट्र अपने हितों तथा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कानून को अपने पक्ष में घुमाने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में अनिश्चितता की परिस्थिति सदैव बनी रहती है।

  5. सरकार का अस्तित्व बनाम विश्व सरकार की अनुपस्थिति

    राजनीतिक अन्तक्रियाएं हमेशा विधिवत् चुनी गई न्याय संगत सरकार की शक्ति एवं नीतियों से बँधी होती हैं। तानाशाहों द्वारा व्यक्तिगत राज्य तथा अवैध तानाशाही का अस्तित्व निस्संदेह अपवाद है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में सरकार के अस्तित्व की कमी होती है। युद्धेतर सम्बन्धों में संयुक्त राष्ट्र संघ विद्यमान है, परन्तु इसकी राज्यों के आपसी सम्बन्धों को नियंत्रित करने की भूमिका बिल्कुल सीमित है।

  6. दोनों की सीमाएँ

    राजनीति हमेशा राज्य के परिवेश में सीमित होती है। इसलिए इसे राज्य की आन्तरिक राजनीति भी कहा जा सकता है। इसके विपरीत अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति राज्यों के मध्य विद्यमान राजनीति होती है तथा अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण का स्वरूप अनिश्चित तथा परिवर्तनशील होता है।

इन सभी तथ्यों से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एवं राजनीति में असमानताओं का पता चलता है। दोनों सुस्पष्ट तथा प्रभिन्न परन्तु बिल्कुल ही अलग प्रक्रियाएं नहीं हैं। एक से दूसरी बन्धी हुई है। राज्य के अन्दर की राजनीति का स्वरूप राज्य की विदेश नीति को निर्धारित करता है तथा यही अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एक निर्धारक भी है। राष्ट्रीय नीतियों को बनाने में अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण भी बड़ी भूमिका निभाता है। अमरीकी तथा भूतपूर्व सोवियत संघ के राजनीतिक सैद्धान्तिक मतभेद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शीत युद्ध, द्विध्रुवीकरण तथा गुट-निरपेक्षता के मुख्य निर्धारक बने और इन तीनों तत्वों ने राज्यों की नीतियों तथा राजनीतिक प्रणालियों को निर्धारित करने में निर्धारक की भूमिका निभाई थी। सोवियत संघ का विघटन, रूसी नेतृत्व, अमरीकी राष्ट्रपति, चीन की विदेश नीति एवं चीन का नेतृत्व आदि तत्व अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के निर्धारक रहे हैं। इस तरह राजनीति तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में गहरा सम्बन्ध है। एक की सहायता से दूसरे का अच्छी तरह विश्लेषण किया जा सकता है।

राजनीति और अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सम्बन्धों का विश्लेषण करते हुए एच० जे० मोग्रेन्थो ने ठीक कहा है, “घरेलू तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एक ही घटनाक्रम-शक्ति के लिए संघर्ष, की दो अभिव्यक्तियाँ हैं। ये अभिव्यक्तियाँ दो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती हैं क्योंकि प्रत्येक के क्षेत्र में नैतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक परिस्थितियाँ भिन्न होती है। इसी तरह कोलोम्बिस तथा वुल्फ ने कहा “अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एवं घरेलू राजनीति की कोई निश्चित अलग पहचान नहीं है बल्कि ये तो राजनीतिक क्रिया के आपस में सम्बन्धित स्तर है, जिनमें से प्रत्येक दूसरे को प्रभावित करता है। बढ़ती हुई अन्तर्निर्भरता और अन्तर्हस्तक्षेप के इस विश्व में, आन्तरिक तथा अन्तर्राष्ट्रीय अवयव एक-दूसरे में इस तरह निहित हैं कि राजनीतिक विश्लेषक उन्हें केवल अपने ही जोखिम पर अलग-अलग करते हैं।”

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