केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड
(Central Social Welfare Board)
भारत में कल्याण सेवाओं में स्वैच्छिक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए 1953 में समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई। 1959 में इसको कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अन्तर्गत एक कम्पनी के रूप में पंजीकृत किया गया। वर्तमान में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के महिला एवं बाल विकास विभाग के नियन्त्रण में एक स्वतन्त्र संगठन के रूप में कार्य कर रहा है। बोर्ड का प्रमुख उद्देश्य देश में महिलाओं, बच्चों तथा शारीरिक और सामाजिक रूप से अयोग्य लोगों की सहायता करना और उनके विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम और योजनाओं की क्रियान्विति करना है। बोर्ड अपने-अपने कार्यक्रम गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भी क्रियान्वित करता है।
केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का संगठन
(Organisation of C.S.W.B.)
बोर्ड के सामान्य निकाय में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक सहित 59 सदस्य हैं। इसके सदस्यों में सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 31 प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता 3, समाज वैज्ञानिक 2, समाज कल्याण प्रशासक 3, एक-एक प्रतिनिधि कल्याण मन्त्रालय, वित्त मन्त्रालय, शिक्षा मन्त्रालय, श्रम मन्त्रालय, स्वास्थ्य मन्त्रालय तथा योजना आयोग से लिया जाता है। दो लोकसभा सदस्य तथा एक राज्यसभा सदस्य होते हैं। कार्यकारी निदेशक बोर्ड का सचिव होता है। सदस्यों को भारत सरकार द्वारा नामित किया जाता है। बोर्ड का अध्यक्ष भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। बोर्ड के कार्यों का संचालन कार्यकारी समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें कार्यकारी निदेशक (Executive Director) सहित 12 सदस्य होते हैं। बोर्ड के कार्य की समीक्षा करने और महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने के लिए कार्यकारी समिति की बैठक सामान्यतया दो महीनों में एक बार होती है। वर्तमान सरकारी समिति का पुनर्गठन 12 अक्टूबर, 1983 को रानाडे समिति की सिफारिश के आधार पर किया गया जिसके अनुसार कार्यकारी समिति के सदस्यों की संख्या 1997 में 15 हो गई। इस समिति में मण्डल का अध्यक्ष, कार्यकारी निदेशक, चार प्रान्तीय सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष, एक केन्द्र शासित प्रदेश का अध्यक्ष (रोटेशन से), एक-एक प्रतिनिधि कल्याण मन्त्रालय, वित्त मन्त्रालय, ग्रामीण विकास स्वास्थ्य मन्त्रालय, शिक्षा मन्त्रालय, श्रम मन्त्रालय से तथा दो व्यावसायिक कार्यकर्ता होते हैं।
बोर्ड की संगठनात्मक एवं प्रशासनिक संरचना
बोर्ड का एक सचिवालय है जिसका अध्यक्ष कार्यकारी निदेशक (Executive Director) होता है। बोर्ड का सचिवालय कार्यों की प्रवृत्ति के आधार पर पाँच संभागों (Divisions) में विभक्त किया गया है। प्रत्येक संभाग का अध्यक्ष अतिरिक्त निदेशक (Additional Director) होता है। सचिवालय के प्रमुख पाँच संभाग निम्नलिखित हैं-
1. औद्योगिक कार्यक्रम प्रशासनिक संभाग (Industrial Programme Administrative Division)- यह संभाग बोर्ड की जरूरतमन्द महिलाओं और विकलांगों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों को देखता है। इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए देश की विभिन्न ऐच्छिक संस्थाओं को अनुदान राशि दी जाती है। यह राज्यों के कल्याण सलाहकार बोर्ड तथा निदेशालयों के माध्यम से ऐच्छिक संस्थाओं से आवेदन-पत्र माँगता है, उनकी जाँच करता है, अनुदान राशि प्रदान करता है तथा खर्च का लेखा-जोखा रखता है।
संभाग कल्याण अधिकारियों तथा सहायक परियोजना अधिकारियों से प्राप्त प्रतिवेदनों की जाँच भी करता है। बजट के वार्षिक अनुमान तैयार करता है, वार्षिक तथा पंचवर्षीय योजनाएँ तैयार करता है। लोकसभा में उठे प्रश्नों के उत्तर तैयार करता है तथा उद्योग मन्त्रालय, खादी आयोग तथा सम्बन्धित राज्य सरकारों से सम्पर्क बनाए रखता है।
2. कल्याण कार्यक्रम प्रशासन संभाग (Welfare Programme Administration Division)- यह संभाग तीन उप-संभागों में विभक्त हैं-
- सामान्य अनुदान उप-संभाग यह ऐच्छिक संस्थाओं, महिला मण्डलों, कल्याण विस्तार परियोजनाओं, कामकाजी महिला होस्टलों के लिए अनुदान राशि प्रदान करता है। राज्यों में कल्याण सलाहकार बोर्डों द्वारा अनुमोदित आवेदनों की जाँच करता है, अनुदान राशि जारी करता है तथा इसके उपयोग को निर्दिष्ट करता है।
- बाल कल्याण उप-संभाग-यह बाल विकास पोषाहार कार्यक्रमों, कामकाजी महिलाओं के शिशु-गृहों, अवकाश दिवसीय शिविरों, समेकित प्री-स्कूल परियोजनाओं, प्रदर्शन परियोजनाओं और परिवार तथा बाल कल्याण परियोजनाओं से सम्बन्धित कार्य देखता है।
- संक्षिप्त पाठ्यक्रम उप-संभाग-यह दो वर्ष के संक्षिप्त पाठ्यक्रमों में अनुत्तीर्ण हुए व्यक्तियों के लिए एक-वर्षीय पाठ्यक्रम तथा महिलाओं के लिए वोकेशनल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की देखरेख करता है।
3. प्रशासनिक संभाग (Administrative Division)- यह संभाग कार्मिकों के कार्यों का प्रबन्ध, निरीक्षण तथा प्रशासन करता है, जैसे-भर्ती, प्रशिक्षण, स्थानान्तरण, पदोन्नति, अनुशासन, लेखा-जोखा, परिवहन पत्र प्राप्ति एवं प्रेषण आदि। संभागीय राज्यों के समाज कल्याण बोर्डो के बजट, वार्षिक प्रतिवेदनों की जाँच आदि से सम्बन्धित कार्य भी करता है। ये बोर्ड की दो पत्रिकाओं-‘समाज कल्याण’ (हिन्दी), Social Welfare (अंग्रेजी) के प्रकाशन से सम्बन्धित कार्य भी देखता है।
4. वित्त एवं बजट संभाग (Finance and Budget Division)- यह संभाग लेखा-जोखा के सामान्य वित्तीय नियमों और वाणिज्य विषयक अंकेक्षण पद्धति द्वारा बोर्ड के बजट को सही ढंग से रखने को निश्चित बनाने के कार्यों का सम्पादन करता है। इसके अतिरिक्त यह संभाग बजट तैयार करने, संस्थापित संस्थाओं को राशि प्रदान करने, राज्यों के समाज कल्याण बोर्डो द्वारा किये गये धनराशि-व्यय के आँकड़े प्राप्त करने तथा इन पर वित्तीय नियन्त्रण रखने का भी कार्य करता है। इस संभाग के कार्यों की तकनीकी प्रकृति के कारण इसमें वित्त से सम्बन्धित अन्तरिम वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी होता है।
5. नियोजन, मॉनिटरिंग एवं समन्वय संभाग (Planning, Monitoring and Co-ordiation Division)- यह संभाग बोर्ड के उद्देश्यों और सरकारी नीतियों के साथ समन्वय करते हुए समाज कल्याण कार्यक्रमों की योजना तैयार करती है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की वरीयता तथा कार्यक्षमता का भी मूल्यांकन करता है। ये ऐच्छिक संस्थाओं के कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग करता है तथा राज्यों के समाज कल्याण बोर्डो के साथ कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रमों में समन्वय करता है। यह कल्याण सम्बन्धी कार्यों को करने वाले विभिन्न मंत्रालयों, विभागों एवं संगठनों के साथ सम्पर्क बनाए रखता है।
केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड के कार्य
केन्द्रीय समाज कल्याण बोई समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों के कल्याण एवं विकास हेतु निम्नलिखित कार्य करता है-
- विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु स्वयंसेवी संगठनों को अनुदान एवं सहायता देना।
- कल्याण विस्तार योजनाएँ निर्मित एवं क्रियान्वित करना ।
- कामकाजी महिलाओं के लिए आवासीय हास्टलों की व्यवस्था करना।
- अवकाश शिविर योजनाओं का संचालन करना ।
- प्रदर्शनी परियोजना द्वारा बालवाड़ियाँ चलाना ।
- शहरी गन्दी बस्तियों के बालकों के शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु स्कूल-पूर्व शिक्षण परियोजना चलाना।
- सीमावर्ती क्षेत्रों में कल्याण-विस्तार योजनाएं संचालित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कल्याण कार्यक्रमों के संचालन एवं नियन्त्रण हेतु महिला मण्डलों की स्थापना करना।
- जरूरतमन्द महिलाओं, अनाथों एवं विकलागों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु रोजगार योजनाएँ चलाना ।
- प्रौढ़ स्त्रियों की शिक्षा एवं आय हेतु कार्यक्रम संचालित करना।
- बाल कल्याण योजनाएं संचालित करना।
- बोर्ड की सहायता से निर्मित भवनों की मरम्मत करवाना।
- राज्यों में कल्याण सलाहकार बोर्ड के कार्यों पर नियन्त्रण एवं निर्देशन करना तथा उनके कार्यों में समन्वय स्थापित करना।
- अनुसंधान, मूल्यांकन एवं सांख्यिकी कार्य करना।
- केन्द्रीय बोर्ड एवं राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के कल्याण बोर्डों में कार्मिकों की भर्ती की स्वीकृति प्रदान करना तथा अस्थायी कार्मिकों की भर्ती पर उनको वेतन जारी करना।
केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड : स्तर की समस्या
केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का स्तर कानून की निगाह में निगमनात्मक नहीं है। जब सरकार द्वारा इसे अनुदान दिया जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि मन्त्रालय स्वयं को ही अनुदान दे रहा हो । यद्यपि इस प्रकार की स्थिति की स्थापना सरकार का मन्तव्य नहीं था, किन्तु व्यवहार में ऐसा ही हुआ। बोर्ड को कानूनी स्तर प्रदान करने की समस्या शीघ्र ही व्यावहारिक समस्या बन गई। जब बोर्ड द्वारा बड़े स्तर पर वित्तीय लेन-देन किए गए तो कुछ मामलों में कानूनी कार्यवाही अपरिहार्य बन गई। यह स्पष्ट है कि बोर्ड का कोई कानूनी स्तर नहीं है। न यह किसी पर मुकदमा चला सकता है और न इस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। मन्त्रालय द्वारा इसका कानूनी स्तर बहुत पहले ही तय कर दिया जाना चाहिए था। वी० जगन्नाथम के कथनानुसार, “बोर्ड के भविष्य के सम्बन्ध में अनिश्चितता ने इसके कार्यक्रमों की क्रियान्विति को पर्याप्त प्रभावित किया है।” प्रारम्भ में बोर्ड के सामने कानूनी स्तर का प्रश्न विशेष महत्व का नहीं था। अपने शैशव काल में इसने अधिकाधिक नए कार्यक्रम अपनाए तथा उन्हें शीघ्र सम्पन्न करने के लिए अपने औपचारिक संगठन में ही एक अनौपचारिक संगठन भी बना लिया। इसके संचालकों का मुख्य ध्येय यह था कि उपलब्ध साधन स्रोतों के द्वारा जितने कार्य शीघ्रातिशीघ्र किए जा सकें, उतने वे करें।
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